इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: नोट बंदी के फैसले को संगठित लूट करार दे कर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोल चुके पूर्व प्रधानमंत्री ने बुधवार को संसद की वित्त मामलों की समिति की बैठक में अपने नरम रुख से सबको चौंकने पर मजबूर हो गया। दरअसल कमेटी के समक्ष पेश हुए पटेल से एक सांसद ने जब यह पूछा कि क्या अगर रकम निकालने की मौजूदा सीमा हटा ली जाती है तो इससे अव्यवस्था खत्म हो जाएगी? इस पर पटेल कुछ बोलते इससे पहले ही पूर्व पीएम ने उन्हें इस सवाल को टाल देने की सलाह दी। मनमोहन ने पटेल से कहा कि उन्हें ऐसे सवाल का जवाब देने से बचना चाहिए जो भविष्य में परेशानी का कारण बन जाए। इसके बाद पटेल ने इन सवालों का सीधा जवाब न देते हुए बीच का रास्ता अपनाया। उन्होंने समिति को बताया कि नोट बंदी की घोषणा के बाद 9.2 लाख करोड़ की नई करेंसी आ चुकी है। इस दौरान पटेल ने इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया कि अब तक बैंकों में कितनी नई करेंसी जमा हुई है। पटेल ने बैंकों में जमा किए गए 500 के पुराने नोट और 1000 के नोटों की मात्रा का भी कोई जवाब नहीं दिया। समिति के सदस्य के मुताबिक पूरी बैठक के दौरान मनमोहन ने तीन बार पटेल को सवालों का जवाब देने से बचने की सलाह दी। मनमोहन के इस रुख से हैरानी स्वाभाविक है क्योंकि खुद उन्होंने नोट बंदी के फैसले को न सिर्फ संगठित लूट बताया था, बल्कि यह भी कहा था कि इस फैसले के कारण विकास दर में दो फीसदी तक की कमी आ सकती है। समिति के मुख्य सदस्यों में कांग्रेस की ओर से मनमोहन सिंह और दिग्विजय सिंह राज्यसभा की तरफ से शामिल हैं।