जितेंद्र, पठानकोट : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की तरफ से सिंबल चौक स्थित आश्रम में साप्ताहिक सत्संग समारोह आयोजित किया गया। इसमें स्वामी हरिवल्भानंद जी ने बताया कि जब हम अपने मन में किसी के प्रति ईष्र्या, द्वेष व नफरत जैसे भाव रखते हैं तो ये बुरे विचार या दुर्भावनाएं हमारे मन में दुर्गंध उत्पन्न करती हैं। हर युग में पूर्ण गुरूओं ने जिज्ञासुओं को इसी ज्ञान से दीक्षित किया। ऐसे में कुछ पल ऐसे भी आ जाते हैं जब इंसान के बहुत प्रयासों के बाद भी कार्य सफल नहीं होता व व्यक्ति निराश होकर अज्ञानतावश इसे अपनी हार मान लेता है जबकि संत महापुरूष कहते हैं कि वास्तव में इंसान तब हारता है जब वह अपने मन से हार जाता है क्योंकि मन से हारने वाला प्रयास करना छोड़ देता है इसलिए कहने का तात्पर्य कि सफ ल लोग वही लोग होते हैं जो अपनी हार से सीखते हैं।