` महाभारत के बाद पहली बार किन्नरों का पिंडदान

महाभारत के बाद पहली बार किन्नरों का पिंडदान

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इंडिया न्यूज सेंटर, वाराणसी। विश्व में पहली बार सामाजिक रूप से पिशाच मोचन विमल तीर्थ पर किन्नरों ने अपने किन्नर पितरों (किन्नर बच्चे, मां, गुरू, चेला) की अतृप्त आत्माओं की मुक्ति के लिए त्रिपिंडी श्राद किया। किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी समेत लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता और कई अन्य अखाड़े के तमाम पीठाधीश्वर और महंतों ने इसमें हिस्सा लिया।यहां 21 ब्राह्मणों ने 4 घंटे तक पूरा अनुष्ठान करवाया। महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने बताया कि किन्नर की मौत और अंतेष्ठी कोई रहस्य नहीं है। जो जिस धर्म का होता है, उसकी अंतेष्ठी उसी धार्मिक रीति-रिवाज से होती है। महाभारत में शिखंडी के बाद पहली बार सामूहिक तौर पर धार्मिक रूप से पिंडदान किया गया है। महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने बताया कि महाभारत काल में शिखंडी ने अपने पितरों का पिंडदान किया था। इसके बाद आज पिंडदान हुआ है। हर 5 साल पर हम किन्नर पितरों का पिंडदान यहां करते रहेंगे। ऐसा कहा जाता है कि मुगलकाल में एक-दो किन्नरों ने पिंडदान किया था। हालांकि, इसका प्रमाण नहीं मिलता है।

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Source: india newa centre

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