PUNJAB CM REJECTS BAJWA’S VINDICTIVENESS CHARGE, SAYS RS MP HAS MORE SECURITY BY CISF THAN HE HAD EVEN PRE-COVID
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पंजाब सरकार की तरफ से प्रताप सिंह बाजवा की सुरक्षा वापस लेने में उनके द्वारा लगाऐ भेजभाव के आरोपों को खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल मार्च महीने में केंद्र की तरफ से राज्य सभा मैंबर को मुहैया करवाई गई जैड्ड श्रेणी की सुरक्षा बाद में साल 2013 की राज्य की सुरक्षा नीति के अनुसार उसे पेश खतरे की समय -समय की जाने वाली समीक्षा पर आधारित यह आम प्रक्रिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हालाँकि, उनकी सरकार किसी भी व्यक्ति को सही मायनों में ज़रूरत होने पर सुरक्षा देने से इन्कार नहीं करेगी। परन्तु बेवजह पुलिस मुलाजिमों को अवस्यत नहीं रख सकती ख़ास कर उस समय पर जब कोविड की महामारी के दरमियान पुलिस फोर्स बहुत नियंत्रण और दबाव में से गुजऱ रही है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से किये जाने वाले खतरे के मूल्यांकन के मुताबिक बादलों को सुरक्षा खतरे के संकेत के मद्देनजऱ सुरक्षा प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्धी बाजवा की शिकायत ओछी और बेमानी है और न ही यह तथ्यों पर आधारित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बादलों को पेश अधिक खतरे के मद्देनजऱ उनको भारत सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से दी जाती ज़ैड्ड प्लस सुरक्षा के अलावा पंजाब पुलिस की तरफ से भी सुरक्षा मुहैया करवाई गई है। उन्होंने कहा कि बाजवा और बादलों के मामले के दरमियान कोई तुलना नहीं हो सकती क्योंकि उनको देश में किसी भी दहशतगर्दी जत्थेबंदी की तरफ से पेश किसी खतरे सम्बन्धी किसी विशेष सूचना की अनुपस्थिति के कारण पंजाब सरकार की सुरक्षा लेने के लिए श्रेणीबद्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस पंजाब की ख़ुफिय़ा सूचना में यह दर्शाया गया है कि बाजवा एक संसद मैंबर के नाते सिर्फ पद की सुरक्षा के हकदार हैं। जैसे कि मंत्रीमंडल की तरफ से साल 2013 में मंज़ूर की प्रांतीय सुरक्षा नीति में दर्ज है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा फिर भी 23 मार्च, 2020 तक कांग्रेसी संसद मैंबर की सुरक्षा में 14 जवान और ड्राईवर समेत एक एस्कॉर्ट जिप्सी शामिल थी और 23 मार्च को कोविड ड्यूटी के कारण कुछ जवानों को वापस बुला लिया गया। 23 मार्च, 2020 के बाद बाजवा की सुरक्षा में छह सुरक्षा जवान (दो कमांडो, दो आर्मड बटालियन और एक जि़ले का जवान) और ड्राईवर समेत एक एस्कॉर्ट जिप्सी थी।
हालाँकि, 19 मार्च, 2020 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बाजवा को सी.आई.एस.एफ. की सुरक्षा अधीन ज़ैड्ड श्रेणी की सुरक्षा देने का फ़ैसला किया। कोविड के कारण शुरुआत में सी.आई.एस.एफ. ने थोड़ी संख्या में जवानों को तैनात किया परन्तु इस हफ़्ते पी.एस.ओज़, हाऊस प्रोटेक्शन गार्ड और एस्कॉर्ट समेत पूरी संख्या बाजवा की सुरक्षा के लिए तैनात हो गई। इसके साथ ही ज़ैड्ड श्रेणी के नियमों के अंतर्गत बाजवा की सुरक्षा के लिए 25 जवान, 2 एस्कॉर्ट ड्राईवर और स्कॉरपीयो वाहन शामिल हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि सी.आई.एस.एफ सुरक्षा की पूरी तैनाती ने पुलिस की तरफ से मौजूदा स्थिति के अनुसार नये सिरे से समीक्षा को ज़रूरी बना दिया था। जिसके उपरांत मैंबर पार्लियामेंट की राज्य स्तरीय सुरक्षा वापसी ली गई है। खासकर इस तथ्य की रौशनी में कि राज्य सरकार के रिकार्ड अनुसार किसी खतरे संबंधी कोई विशेष सूचना नहीं है। क्योंकि उसको भारत में सक्रिय आतंकवादी /दहश्तगर्द जत्थेबंदियों की तरफ से खतरे की तरफ इशारा करती हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पंजाब पुुलिस की तरफ केंद्रीय एजेंसी के साथ विचार-विमर्श के साथ सुरक्षा की समीक्षा सम्बन्धी समय-समय किया जाने वाला आम अभ्यास था। जो हालातों की तबदीली और गतिशीलता को ध्यान में रखते सभी सुरक्षा रखने वालों संबंधी लगातार किया जाता है। मुख्यमंत्री ने बाजवा की तरफ से इस समीक्षा को बिना किसी आधार के अपने चयन अनुसार राज्य सरकार के साथ पैदा की विरोधता से जोडऩे के किये यत्न को समझे से बाहर की बात करार दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार इस मामले में बाजवा पर उपकार करने की स्थिति में नहीं है। जबकि सरहदी राज्य होने के कारण पंजाब पुुलिस विभिन्न तरह की सुरक्षा और अन्य चुनौतियों, जिनमें कोविड, सरहद पार से दहशतगर्दी, हथियारों और नशों की समगलिंग और शराब माफिया शामिल है, से निपटने में पूरी तरह व्यस्त हो और खासकर जब राज्य के अंदर पुलिस के 1000 के करीब जवान कोरोना वायरस से प्रभावित हुए हों।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उन्होंने समेत राज्य के सभी सुरक्षा रखने वालों और वी.वी.आई.पी व्यक्तियों की सुरक्षा घटानी पड़ी है। क्योंकि कोविड ड्यूटी और जिलों की ख़ातिर 6500 पुलिस कर्मियों को वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि इन सब की सुरक्षा वास्तव में घटाई गई है न कि बाजवा की तरह जिनके पास वास्तव में अब पहले की अपेक्षा भी सुरक्षा की बड़ी टीम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मन्दभागी बात है कि बाजवा की तरफ से सुरक्षा चुनने को आत्म-सम्मान और जन्म सिद्ध अधिकार के तौर पर देखा जा रहा है, जो निश्चित तौर पर नहीं है।