` मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को मैडीकल ऑक्सीजन की मौजूदा सप्लाई को बढ़ाने और उत्पादन को राज्य में ही करने के निर्देश
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मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को मैडीकल ऑक्सीजन की मौजूदा सप्लाई को बढ़ाने और उत्पादन को राज्य में ही करने के निर्देश

1 INDUSTRIAL SUPPLIER GETS LICENSE TO MANUFACTURE MEDICAL OXYGEN, NODAL OFFICER APPOINTED TO MANAGE SUPPLY-DEMAND share via Whatsapp

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STATE TO SEND SAMPLES TO IMTECH TO CHECK POSSIBLE VIRUS MUTATION AS CAUSE FOR HIGH COVID FATALITY


एक औद्योगिक सप्लायर को मैडीकल ऑक्सीजन के निर्माण का लायसेंस भी मिला

माँग और सप्लाई के प्रबंधन के लिए नोडल अफ़सर नियुक्त

बढ़ती मृत्यु दर को देखते हुये राज्य वायरस में परिवर्तन की संभावना संबंधी पता लगाने के लिए इमटैक को नमूने भेजेगा

इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़: प्रदेश में कोविड मामलों और मृत्यु दर में वृद्धि के चलते पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए है कि मैडीकल ऑक्सीजन की मौजूदा सप्लाई को बढ़ाने के लिए इसका उत्पादन अपने स्तर पर करने के लिए कदम उठाए जाए। जिससे किसी भावी संकट से मुकाबले के लिए इस अति ज़रूरी वस्तु की कोई कमी न रहे।

पंजाब जो अपने पड़ोसी इलाकों से इस मैडीकल ऑक्सीजन की खरीद कर रहा है। सरकार मे अब फ़ैसला किया है कि राज्य में कोविड मामलों के बढ़ती संख्या के चलते किसी कमी से निपटने के लिए मैडीकल ऑक्सीजन का उत्पादन राज्य के अंदर ही करे।

अब तक पंजाब मैडीकल ऑक्सीजन की खरीद उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा समेत दूसरे राज्यों से कर रहा है। अब जब कि मामलों के निरंतर वृद्धि के कारण देश के कई हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी की रिपोर्टें आईं हैं। मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त सप्लाई पैदा करने के लिए इसके अपने राज्य में ही निर्माण करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है।

इस फ़ैसले की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने अब तक पंजाब में मैडीकल ऑक्सीजन के निर्माण के लिए एक औद्योगिक ऑक्सीजन सप्लायर को लायसेंस भी दे दिया है। जबकि छह पैकिंग इकाईयों को मैडीकल प्रयोग के लिए ऑक्सीजन पैक करने की अनुमति दी है।

इससे राज्य में ही अब रोज़मर्रा के 800 मैडीकल ऑक्सीजन सिलंडरों के उत्पाद और 2000 इकाईयों की पैकिंग का सामथ्र्य हो गया।सरकार को आशा है कि पहले से ही दूसरे राज्यों से खरीद से आने वाले हफ़्तों में माँग में किसी भी तरह होने की स्थिति से निपटने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड मामलों में वृद्धि के चलते राज्य सरकार ने मैडीकल ऑक्सीजन की माँग और सप्लाई पर निगरानी रखने के लिए नोडल अफ़सर नियुक्त किये हैं। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को कहा है कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए राज्य में निर्माण और पैकिंग को और बढ़ाना यकीनी बनाया जाये।

महामारी के साथ पैदा हुई स्थिति का जायज़ा लेने के लिए बुलायी वर्चुअल मीटिंग में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने विभाग को निर्देश देते हुये यह यकीनी बनाने के लिए कहा कि राज्य में कोविड मरीज़ों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की कोई कमी न आए।

मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि इस समय पर राज्य के पास ऑक्सीजन की उपयुक्त सप्लाई मौजूद है। जिससे कोविड के बढ़ रहे मामलों से माँग के वृद्धि की पूर्ति की जा सके। उन्होंने आगे बताया गया कि राज्य के सरकारी मैडीकल कालेजों में 6653 कोविड मरीज़ दाखि़ल हुए जिनमें से 5269 व्यक्ति स्वस्थ्य हो गए। और उनको छुट्टी दे दी गई जबकि 550 व्यक्ति अभी इलाज अधीन हैं।

मुख्य सचिव विनी महाजन ने मीटिंग के दौरान बताया कि पंजाब, आई.सी.एम.आर. के दिशा-निर्देशों के मुताबिक 10 दिनों छुट्टी की नीति को अपना रहा है। यदि दाखि़ल मरीज़ में अन्तिम तीन दिन लक्षण नहीं रहते तो स्तर -1 के किसी भी पॉजिटिव मरीज़ को 10वें दिन छुट्टी दी जा सकती है। उन्होंने आगे बताया कि मामलों की बढ़ रही संख्या से निपटने के लिए मैडीकल कालेज, फरीदकोट में 50 और बैड शामिल करने का फ़ैसला किया गया है।

मीटिंग में विशेष तौर पर शामिल एमज़ के दिल के रोगों के माहिर प्रोफ़ैसर अम्बुज रॉय, जो पंजाब में हुई मृत्यु दर के आंकड़ों का अध्ययन कर रहे हैं, ने कहा कि वायरस में उत्परिवर्तन आने की संभावना की जाँच की जा रही है। पंजाब सरकार के स्वास्थ्य माहिरों के समूह के प्रमुख डा. के.के. तलवाड़ ने कहा कि पैनल की तरफ से सैंपल इमटैक को भेजे जाएंगे जिससे वायरस के रूप की जांच की जा सके और यह पता लगाया जा सके इससे पहले भेजे सैंपलों के मुकाबले बीते एक महीने में कोई परिवर्तन आया है।

रॉय ने आगे कि कि पंजाब में कोविड के साथ ज्यादातर मौतें 6 अगस्त के बाद हुई हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में मामलों की मृत्यु दर 2.96 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत की 1.65 प्रतिशत की अपेक्षा अधिक है और इसी तरह प्रति मिलियन मृत्यु 78.5 है (राष्ट्रीय औसत 58.3 है) परन्तु फिर भी यह आंकड़े मुल्क में बहुत से राज्यों की अपेक्षा बेहतर हैं। दरअसल, पंजाब की 5.72 फीसदी की सकारात्मक दर 8.47 की राष्ट्रीय औसत की अपेक्षा बहुत बेहतर है।

रॉय ने बताया कि पंजाब में मृत्यु की अधिक दर का मुख्य कारण सह -बीमारियाँ हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सह-रोगों वाले सभी व्यक्तियों को तुरंत अस्पतालों या अन्य स्वास्थ्य केंद्र में दाखि़ल होना चाहिए। और ऑक्सीजन की दिक्कत से निपटने के लिए पूरी निगरानी की जानी चाहिए। श्री रॉय, जो पंजाब के पहली कोविड मृत्यु के आडिट में शामिल हैं, की तरफ से इलाज के लिए दिए सुझाव में ऑक्सीजन की उपलब्धता, पल्स स्टीरॉयड समेत स्टीरॉयड थरैपी की जल्दी शुरुआत शामिल हैं।

उन्होंने यह भी सलाह दी कि बायोमारकर की उलब्धता यकीनी बनाने के साथ-साथ शरीर की अंदरूनी जांच करने वाली सहूलतों को और मज़बूत किया जाये तो मृत्यु दर को घटाया जा सके।

मुख्यमंत्री की तरफ से प्लाज्मा थैरेपी की सफलता संबंधी पूछे गए एक सवाल के जवाब में डा. तलवाड़ ने कहा कि अध्ययन से अभी तक कोई पुख़्ता नतीजे सामने नहीं आए हैं। हालाँकि एफ.डी.ए. ने इलाज के इस ढंग की सिफ़ारिश की थी। डा. तलवाड़ ने कहा कि यह देखते कि इसके बुरे प्रभाव का भी कोई सबूत नहीं है। गंभीर मरीज़ों को प्लाज्मा थैरेपी देने की सलाह दी गई। अब तक कोविड से स्वस्थ्य हुए 39 मरीज़ों ने प्लाज्मा दान किया है। जिससे इसके 77 यूनिट इकठ्ठा हुए। सरकारी मैडीकल कालेज में अब तक 24 मरीज़ों को प्लाज्मा थैरेपी दी गई है। इसके साथ ही चार मरीज़ों को सरकारी अस्पतालों और 33 मरीज़ों को निजी स्वास्थ्य संस्थाओं में भी यह थैरेपी दी गई है।

स्वास्थ्य विभाग के सचिव हुसन लाल ने अपनी पेशकारी में मुख्यमंत्री को टेस्टिंग प्रक्रिया को तेज़ करने और घरों में एकांतवास के अधीन मामलों की निगरानी के लिए उठाये अलग -अलग कदमों के बारे अवगत करवाया और बताया कि स्वास्थ्य विभाग इन मामलों की निगरानी के लिए एक पेशेवर एजेंसी को अपने साथ जोडऩे की प्रक्रिया अधीन है।

104 मैडीकल हेल्पलाइन रोज़मर्रा के घरेलू एकांतवास के अधीन मामलों ख़ास कर जिनकी उम्र 40 साल से ऊपर है। जिसकी लगातार निगरानी कर रही है। जिससे रोज़मर्रा के आधार पर उनके पैरामीटरों की जांच की जा सके। मीटिंग में बताया गया कि पिछले 4 दिनों के दौरान घरेलू एकांतवास के अधीन मामलों के सम्बन्ध में 2500 से अधिक कॉल की गई हैं।

टेस्टिंग में तेज़ी लाने के मद्देनजऱ वाक-इन टेस्टिंग को सुचारू बनाने के लिए अलग-अलग कदम उठाए गए हैं। इन्तज़ार के समय को घटाने और लोगों के लिए सारी प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए सभी जिलों में ज़रूरी टीमें लगाई जा रही हैं। मीटिंग में यह भी बताया गया कि वाक-इन टेस्टिंग (रैपिड एंटीजन और आर.टी. -पी.सी.आर. टेस्टिंग) हफ्ते के सभी दिन (रविवार को छोड़ कर जब एमरजैंसी टेस्टिंग उपलब्ध होगी) प्रात:काल 9 बजे से शाम 4 तक की जा रही है। एमरजैंसी टेस्टिंग प्रात:काल 9 बजे से शाम 4 बजे के समय के अलावा भी की जा रही है।

मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान के सचिव डी.के. तिवाड़ी ने अपनी पेशकारी में मुख्यमंत्री को सरकारी मैडीकल कालेजों में तीसरे स्तर की कोविड इलाज सेवाओं की मौजूदा स्थिति और प्लाज्मा थैरेपी के यत्नों संबंधी जानकारी दी।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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