आतंकी साजिस से भी नही किया जा सकता इंकार
बिना काँसन के कैसे चल रहा कार्य जांच का विषय
हमारी मुजफ्फरनगर की टीम के विपिन चौधरी व प्रवीण वर्मा की विशेष रिपोर्ट
खतौली,मुजफ्फरनगरः जनपद मुजफ्फरनगर के खतौली में हुए रेल हादसे की घटना के बाद एक ही सवाल लोगों के मन में हैं कि आखिर कैसे हो गया इतना बड़ा रेल हादसा कौन है इसका जिम्मेवार इसको रेलवे की लापरवाही ही कहेगें। लेकिन जिस तरह से यह हादसा हुआ है इसको किसी आतंकी साजिस से भी इंकार नही किया जा सकता है। रेलवे ट्रैक का टूकड़ा कटा हुआ मिलना किसी साजिस की तरफ इशारा करता है। लेकिन जैसे यहां के लोगों ने बताया कि यहां पर बिना काँसन के काम चल रहा था तो इसको सीधे-सीधे रेलवे की लापरवाही ही माना जाएगा। अगर यहां के लोगों की माने तो प्रभु की रेल प्रभु के भरोसे ही चल रही थी। बताते है कि बगैर कॉसन के ट्रेन की पटरी पर तीन दिन से काम चल रहा था। इसकी शिकायत स्थानीय लोगों ने रेलवे अधिकारियों से की थी। लोगों का कहना है कि अगर पटरी पर कॉसन लगा होता तो यह हादसा शायद नहीं होता। लोगों ने बताया कि यहां की लापरवाही की खबरों को अमर उजाला अखबार में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। हादसा होते ही घटना स्थल के पास के रहने वाले लोगों ने प्रदर्शन करना शुरु कर दिया। लोग आरोप लगा रहे थए कि इस घटना में मरने वालों की मौत का जिम्मेदार रेलवे है। कई दिनों से रेलवे की पटरी पर काम चल रहा था। पुलिस-प्रशासन अधिकारी मौके पर पहुंचे तो लोगों ने उनका घेरा कर लिया। लोगों ने कहा कि अब अधिकारी सिर्फ मौत का तमाशा देखने आए हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद किसी रेलवे अधिकारी की आंख नहीं खुली। पुलिस अधिकारियों ने लोगों को समझा बुझाकर शांत किया। लोगों ने 12 जून और 12 अगस्त में अमर उजाला के खतौली में रेलवे ट्रैक पर लापरवाही का समाचार प्रकाशित करने की बात भी अधिकारियों से कही। पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि इस मामले की जांच कराकर आरोपी रेलवे के अधिकारियों पर कार्रवाई कराई जाएगी।
क्या है कॉसन जानें
रेलवे नियमों के मुताबिक जब किसी सेक्शन पर निर्माण के दौरान कॉसन (लाल झंडी) लगा देते हैं, ताकि वहां से गुजरने वाली ट्रेन की स्पीड 20 से भी कम हो। धीमी गति में ट्रेन वहां से आसानी से निकली जाती हैं। कॉसन को देखकर ट्रेन ड्राइवर समझ जाते कि पटरी पर निर्माण चल रहा हैं। कई दिनों से रेलवे कर्मचारी पटरी पर काम कर रहे थे, लेकिन कॉसन नहीं लगा था। यही लापरवाही शनिवार को हादसा का सबक बताई जा रही हैं। एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि लोगों ने शिकायत की है कि पटरी की मरम्मत कराई जा रही थी, जिससे यह हादसा हुआ हैं। रेलवे के अधिकारियों पर लोगों ने लापरवाही और बगैर सिग्नल के काम कराने का आरोप लगाया हैं। इसकी जांच कराई जा रही हैं। इस हादसे का कौन जिम्मेदार हैं, इसका खुलासा जांच रिपोर्ट के बाद होगा।
बता दें कि जिस जगह शनिवार को रेल हादसा हुआ, उसी जगह करीब 70 दिन पहले भी रेलवे ट्रैक क्रेक हुआ था। तिलकराम इंटर कालेज में सफाई कर्मी राधेश्याम की सजगता से उस समय बड़ा रेल हादसा टल गया था। राधेश्याम लाल कपड़ा लेकर ट्रैक पर दौड़ पड़ा था और पैसेंजर ट्रेन को रुकवाया था। इसी जगह फिर से रेल ट्रैक क्रेक हो गया और एक बड़ा रेल हादसा हो गया। शनिवार को रेल हादसा तिलकराम इंटर कालेज और जगत कालोनी के पास हुआ है। हादसा इतना जबरदस्त था कि ट्रेन के तीन कोच पटरी से उतरकर कालेज की दीवार से टकराकर रुके। गत 10 जून की रात भी इसी स्थान पर रेलवे ट्रैक क्रेक हो गया था और रात भर ट्रेनें क्रेक ट्रैक से गुजरती रही थी। 11 जून की सुबह करीब छह बजे तिलकराम इंटर कालेज के सफाई कर्मी राधेश्याम वहां से गुजरे तो उन्होंने ट्रैक को टूटे हुए देखा। उन्होंने इसकी सूचना आसपास के लोगों को दी। इसी बीच उन्होंने मुजफ्फरनगर की ओर से एक पैसेंजर ट्रेन को आते हुए देखा, आनन फानन में वह दौड़कर तिलकराम इंटर कालेज परिसर स्थित अपने घर से एक लाल कपड़ा लेकर आए और उसे लहराते हुए ट्रेन की ओर दौड़ पड़े थे। उनको लाल कपड़ा लेकर दौड़ता देख, ट्रेन के चालक को खतरे का एहसास हुआ और उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका, जिसके चलते बड़ा हादसा टल गया था। अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं और दिल्ली से भी स्पेशल टीम जांच के लिये पहुंच चुकी है।इससे पहले कानपुर में भी कुछ दिनों पहले इसी तरह बड़ा रेल हादसा हुआ था। उधर, रेलवे ट्रैक का यह टुकड़ा कटा मिला है। लाइन गायब है। इसी के चलते हादसा होना बताया जा रहा है। लगभग ढाई मीटर लाइन कटी मिली है। यह पूरा टुकड़ा कटा हुआ अलग रखा था। पास में ही अन्य औजार और हथौड़ा भी मिला है।