इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर आतंकवादी हमले को रोकने में कथित विफलता के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की है। समिति ने कहा कि पठानकोट हमले से सबक नहीं सीखा गया और आतंकवाद निरोधी प्रतिष्ठान में कुछ गंभीर खामी है। गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने गृह मंत्रालय के समूचे प्रदर्शन का जायजा लिया। यह रिपोर्ट बुधवार को राज्यसभा में पेश की गई। सुरक्षा उपायों को मजबूत बनाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए जाने के बावजूद वह जम्मू कश्मीर के पंपोर, उरी, बारामुला, हंडवारा और नगरोटा में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने में व्यापक रूप से विफल रही है। समिति ने कहा कि सुरक्षा नेटवर्क को मजबूत बनाने और सुरक्षा प्रतिष्ठान और खुफिया सूचना एकत्र करने और साझा करने में गंभीर कमियों को दूर करने की आवश्यकता है, जो हाल के हमलों में सामने आ गया है। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाली समिति ने इस बात को समझने में अक्षमता जाहिर की कि पहले से आतंकवादी हमले के बारे में अलर्ट होने के बावजूद कैसे आतंकवादी हवाई ठिकाने में कड़ी सुरक्षा को धता बताकर हमला करने में कामयाब रहे। खुफिया सूचनाओं और पंजाब के एक पुलिस अधीक्षक और उनके साथियों के अपहरण और बाद में उनकी रिहाई का संज्ञान लेते हुए समिति ने आश्चर्य जताया कि क्या सुरक्षा एजेंसियों की तैयारी इतनी खराब थी कि वे समय पर खतरे का अनुमान नहीं लगा सके और तेजी से और निर्णायक तरीके से उसका जवाब नहीं दे सके। समिति ने कहा कि वह महसूस करती है कि आतंकवाद निरोधी सुरक्षा प्रतिष्ठान में कुछ गंभीर गड़बड़ी है क्योंकि घेरा लगाए जाने, प्रकाश की व्यवस्था किए जाने और सीमा सुरक्षा बल के कर्मियों द्वारा गश्त लगाने के बावजूद पाकिस्तानी आतंकवादी सीमा पार से भारत में घुसने में कामयाब रहे। समिति ने पठानकोट हवाई ठिकाने पर आतंकवादी हमले में पंजाब पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सुरक्षा में जो भी कमियां है उनको जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत है। साथ ही खुफिया सूचनाएं हासिल करने की प्रक्रिया और तकनीक में भी बदलाव की जरुरत है।