इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत पर देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। कक्षा एक से आठवीं तक सरकारी स्कूलों की बदहाली पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्कूलों के जो हालात हैं उनमें ना कोई शिक्षा दे सकता है और ना ही कोई शिक्षा ले सकता है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह स्कूलों में बेसिक संसाधनों की कमी है, उससे साफ है कि राज्य में सही गवर्नेंस नहीं है। कोर्ट ने यूपी के चीफ सेकेट्री को चार सप्ताह में कमेटी गठित करके स्कूलों में कमियों को दूर करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद जिले के स्कूलों के निरीक्षण के लिए एक एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने सोमवार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में करीब 35 स्कूलों का निरीक्षण कर सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कई स्कूलों में बिजली के कनेक्शन नहीं हैं जबकि उनके साथ वाली इमारत में बिजली है। कई स्कूलों में पीने के पानी का कनेक्शन नहीं है और वो हैंडपंप के भरोसे हैं, लेकिन बार-बार ये हेंडपंप खराब हो जाते हैं तो उन्हें ठीक कराने का कोई मैकेनिज्म नहीं है।