इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्लीः यूपी में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को यूपी की कमान मिल सकती है। वह राज्य के नये मुख्यमंत्री के रूप में जल्द शपथ ले सकते हैं। हालांकि तीन बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और 17 साल से केन्द्रीय राजनीति में सक्रिय राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी के लिए इच्छुक नहीं हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन राव भागवत की मुहर लगने के बाद वह इसे कुबूल कर लेंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोएम्बटूर में इसके लिए मंथन जारी है। यूपी में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों को 325 सीटें मिली है। जनता का इतना बड़ा जनादेश भाजपा के लिए जितनी बड़ी खुशियों की सौगात लाया है, वहीं 2019 के आम चुनाव को देखते हुए उतने ही असमंजस में डाल रहा है। इसलिए भाजपा और संघ दोनों जनता के इस भरोसे को खोना नहीं चाहते। सूत्र बताते हैं कि यही वजह कि कई दौर की बैठकों के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अन्य अन्य शीर्ष नेता एक राय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस कड़ी में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह अनुभव, राजनीतिक कुशलता, प्रशासनिक दक्षता और सभी को साधने की कला में यूपी के सभी नेताओं पर भारी हैं।
क्या है राजनाथ का संकोचः केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ भाजपा के कद्दावर नेताओं में हैं। वह प्रधानमंत्री मोदी जी की कैबिनेट में दूसरे नंबर की हैसियत रखते हैं। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में केन्द्रीय कृषि मंत्री थे। तीन बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। 17 साल से भाजपा की केन्द्रीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं। पिछले दस साल से केन्द्रीय राजनीति की धुरी रहे हैं। इसके अलावा वह यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राज्य की राजनीति से ऊपर उठकर केन्द्र की राजनीति में आए हैं। इसलिए केन्द्रीय गृहमंत्री के लिए राज्य में लौटकर मुख्यमंत्री बनना, राज्य स्तर की राजनीति में सक्रिय होना, और मायावती, अखिलेश के समकक्ष की राजनीति में उतरना संकोच पैदा कर रहा है। लेकिन माना यह जा रहा है कि संघ और भाजपा के अनुशासित सिपाही राजनाथ सिंह शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय का अंतत: सम्मान करेंगे।