इंडिया न्यूज सेंटर, जालंधर: छोटी दिवाली के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं। एक कथा के अनुसार नरकासुर का आतंक काफी बढ़ गया था। उसकी क्रूरता से हर कोई परेशान था और उसने 16 हजार 100 कन्याओं को भी बंदी बना लिया था। तब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करने की ठानी। जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दुर्दान्त असुर नरकासुर का वध किया था, उस दिन नरक चतुर्दशी थी। इस तरह भगवान श्री कृष्ण ने सभी कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था।
एक कथा यह भी:- इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में कहा जाता है कि रंति देव नामक एक राजा थे। वे काफी धर्मात्मा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था। मृत्यु का समय आया, तो उनके समझ यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा स्तब्ध रह गये। बोले, मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया, फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो, क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नरक जाना होगा। मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। राजा की अनुनय भरी वाणी सुन यमदूत बोले - एक बार आपके दरवाजे से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पापकर्म का फल है। राजा की बार-बार विनती के बाद यमदूतों ने उन्हें एक वर्ष की मोहलत दे दी। बाद में राजा ने ऋषि-मुनि से इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय पूछा, तब ऋषि ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करने को कहा। ऐसा करने पर राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ।