रजनीश शर्मा,जालंधरः आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव राहुल गांधी को अपने चाचा संजय गांधी के नक्शोकदम पर चलने की जरूरत है क्योंकि पंजाब में कांग्रेस ने लगातार दो बार हार का सामना कर चुकी है। मौजूदा महासचिव राहुल गांधी को संजय की उन नीतियों को समझने की जरूरत है जिसके सामने किसी भी कार्यकर्ता या नेता की बोलने की जुर्रत नहीं थी लेकिन अब हाईकमान द्वारा लिए गए फैसलों पर धरना प्रर्दशन करना शुरु कर देते हैं यह कांग्रेस के लिए ठीक नहीं है। कांगेस हाईकमान द्वारा टिकटों का गलत आवंटन कांग्रेस को सत्ता से दूर करता जा रहा है। कांग्रेस ने जो गलती 2012 में की थी वह गलती फिर की है। कांग्रेस को पिछली बार भी सत्ता से दोआबा के कारण ही विपक्ष में बैठना पड़ा था,इस बार भी हालात एेसे ही बनते जा रहे है। इसको कांग्रेस की मिस मेनेजमैंट कह सकते है। कांग्रेस ने अगर सर्वे कराया तो टिकट उस हिसाब से आवंटन क्यो नही की गई है। या आप यह कह सकते है कांग्रेस ने जिन वरिष्ठ लोगो को प्रभारी या अाब्जरर्वर बनाया है वह अपना कार्य ठीक प्रकार से नही कर रहे है या पदाधिकारी हाईकमान को गलत रिपोट भेज रहे है। सबसे पहले जालंधर नार्थ से तेजेंदर बिट्टू को टिकट देकर गलती की अगर कांग्रेस ने बिट्टू को टिकट दे दी थी तो फिर टिकट काटकर राजकुमार गुप्ता को देने की क्या मजबूरी आ गई थी।कांग्रेस ने यहां से युवा को नजरअंदाज करके 82 वर्ष के गुप्ता जी को टिकट दे दी जिनको ठीक तरह से सुनता तक नही है। कांग्रेस का स्तर इतना कमजोर हो गया कि वह जिसकी टिकट काटेगी और वह विरोध करेगा और हाई कमान टिकट बदल देगा। कांग्रेस में पहले कभी एेसा नही होता था। इससे साफ जाहिर होता है कि राहुल गांधी की टीम काम ठीक नही कर रही है। यँहा पर एक बात और साबित होती है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांग्रेस को अपनी जागीर समझने लगे है। वरिष्ठ नेताओं को यह समझना चाहिए जब वह युवा नेता थे तो इनको भी किसी ने चांस दिया था। अगर इनको याद हो तो 1977में जब इंद्रा गाधी ने देश में एमरजेंसी लगा दी थी तो जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था। फिर देश में एक एेसा युवा आया जिसने तीन साल बाद ही कांग्रेस को 1980 में भारी मतो से जीत हासिल करवाई थी। इस युवा नेता ने कांग्रेस में क्रांती ला दी थी। इस युवा नेता का लोहा खुद इंदिरा गांधी भी मानने लगी थी। आप सोच रहे होगें कौन था वह युवा नेता उस युवा नेता का नाम संजय गाधी था, संजय के कमान संभालने के बाद युवा क्रांति आई थी और आज के यह नेता जो विरोध जता रहे है यह सब संजय गांधी की ही देन है। इंदिरा गांधी ने 1980 में अपने छोटे बेटे संजय गांधी को कांग्रेस का महासचिव बनाया। अमेठी से 1977 में पहला चुनाव संजय गांधी जनता पार्टी के वीरेन्द्र सिंह से 56,000 वोटों से हार गए थे लेकिन तीन साल बाद ही संजय गांधी ने जनता पार्टी के वीरेन्द्र सिंह को 50 फीसदी से ज्यादा वोटों से हराया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को सोचना चाहिए समय बदलाव मांगता है। जो समय के साथ नही चला वह समाप्त हो जाता है, समय किसी की प्रतिक्षा नही करता है। अगर कांग्रेस ने अबकी बार पंजाब में सत्ता हासिल नही की तो पंजाब से कांग्रेस समाप्त हो जाएगी।