इंडिया न्यूज सेंटर, चंडीगढ़: आश्विन मास में आने वाले इस नवरात्र को शारदीय नवरात्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस समय शरद ऋतु होती है। भगवान रामचंद्र को पति के रूप में पाने के लिए सीता ने पार्वती की पूजा की थी। मां पार्वती ने उन्हें श्रीराम को पति रूप में पाने का आशीर्वाद दिया था और इस तरह उनकी मनोकामना पूर्ण हुई। नवरात्र में कुमारी कन्याएं मनोनुकूल पति की प्राप्ति के लिए बड़ी श्रद्धा के साथ व्रत धारण कर देवी की पूजा उपासना करती हैं और उनका मनोरथ सफल होता है। विवाहित स्त्रियां सुखमय जीवन, पति की समृद्धि और दीर्घायु, संतान सुख एवं संतान के कल्याण की कामना के साथ नवरात्र पूजन करती हैं। नवरात्र अनुष्ठान से दुख दारिद्र का शमन, लक्ष्मी की प्राप्ति, रोग से बचाव, धर्म एवं अध्यात्म में रुचि बढ़ती है। इन दिनों देवी आराधना का ही प्रताप होता है कि पारिवारिक कलह, राग- द्वेष आदि से मुक्ति होती है। इसके अतिरिक्त विद्या अर्जन और विवाह के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर तथा घर में मांगलिक कार्य होते हैं।