Shiromani Akali Dal has decided to pull out bjp-led NDA alliance
किसानों, सिखों, पंजाब और पंजाबी भाषा के प्रति अन्याय का साथ नही दे सकता, शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई
इंडिया न्यूज़ सेंटर, चंडीगढ़/26सितंबर: शिरोमणी अकाली दल की कोर कमेटी की आज रात की आपात मीटिंग में सर्वसम्मति से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से गठबंधन तोड़ने का फैसला किया गया क्योंकि केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसलों के सुनिश्चित मंडीकरण की रक्षा के लिए सांविधिक विधायी गारंटी देने से इंकार कर दिया और जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा को छोड़कर पंजाबी और सिख मुददों के प्रति संवेदनहीनता जारी रखी। कृषि विधेयकों पर सरकार का फैसला न केवल किसानों के हितों के लिए बल्कि खेत मजदूरों, व्यापारियों, दलितों के हितों के लिए बेहद हानिकारक है जो खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं।
मीटिंग की अध्यक्षता शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने की। यह फैसला तीन घंटे से अधिक समय तक चलने वाली पार्टी मुख्यालय में एक मीटिंग के अंत में आया। बाद में पार्टी सुखबीर सिंह बादल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि शिरोमणी अकाली दल शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द्र के मूल सिद्धांतो पर खरा उतरता रहेगा और पंजाब, पंजाबी और विशेष रूप से सिखों और किसानों के हितों की रक्षा करता रहेगा।
उन्होनेे कहा कि पंजाब के लोगों खासकर पार्टी के कार्यकर्ताओं व किसानों, खेत मजदूरों, व्यापारियों व समाज के अन्य गरीब तबके के लोगों के साथ गहन विचार विमर्श करने के बाद यह फैसला लिया गया है। सरदार बादल ने कहा कि भाजपा सरकार द्वार लाए गए कृषि मंडीकरण संबधी विधेयक पहले से ही परेशान किसानों के लिए घातक हैं। ये काले कानून हैं और इन विधेयकों के विरोध में इस्तीफा दिया था। यह ऐसी सरकार यां गठबंधन की पार्टी नही हो सकती जो किसानों, खेत मजदूरों, समाज के अन्य गरीब तथा मेहनतकश वर्गों के खिलाफ खड़ी हो।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार छोड़ने के बाद भी शिरोमणी अकाली दल ने आशा व्यक्त की थी कि केंद्र इन जानलेवा कानूनों के बाद उन गरीब किसानों और अन्य गरीब तबके पर दबाव नही बनाएगा जो कृषि और व्यापार पर निर्भर है। लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा पूरी तरह से जमीनी हकीकत से बेखबर है। उन्होने कहा कि शिरोमणी अकाली दल भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी था लेकिन गठबुधन के पीछे सरकार और मुख्य प्रेरक सिद्धांत पंजाब में शांति और साम्प्रदायिक सदभाव के प्रति प्रतिबद्धता और सामान्य रूप से पंजाबियों और विशेष रूप से सिखों के गौरव और गरिमा की बहाली थी। लेकिन लगातार फैसलों के साथ मौजूदा सरकार ने अल्पसंख्यक भावनाओं के प्रति अपनी कठोर संवेदनहीनता दिखाई है और देश में विशेष रूप से पंजाब में शांति और साम्प्रदायिक सदभावना के प्रति उदासीन रही है।
उन्होने कहा कि हमारे भरसक प्रयासों के बावजूद भाजपा सरकार ने किसानों की भावनाओं का सम्मान करने की बात नही सुनी। उन्होने कहा कि किसान राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हडडी हैं और यह राष्ट्रहित में है कि सरकार को उनके साथ खड़ा होना चाहिए। लेकिन वर्तमान सरकार की नीतियां महत्वपूर्ण राष्ट्रहितों के खिलाफ चल रही है। कोर कमेटी की मीटिंग में शामिल हुए नेताओें में बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, चरनजीत सिंह अटवाल, निर्मल सिंह काहलों, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, बीबी जागीर कौर, डॉ. उपिंदरजीत कौर, जनमेजा सिंह सेखों, सिकंदर सिंह मलूका, बिक्रम सिंह मजीठिया, हीरा सिंह गाबड़िया, जगमीत सिंह बराड़, सुरजीत सिंह रखड़ा, बलदेव सिंह मान तथा मनजिंदर सिंह सिरसा भी शामिल थे।