इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: सऊदी अरब में लगभग 150 भारतीय नागरिकों के शव बीते एक साल से वहां के कई मुर्दाघरों में रखे हुए हैं। लालफीताशाही के चलते ये शव अभी तक वापस भारत नहीं आ सके हैं। इनमें से ज्यादातर लोग आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के हैं। सऊदी अरब में काम करने गए लगभग 150 लोगों की मृत्यु के होने के बाद उनके शव बीते एक साल से वहां पर इसीलिए रखे हुए हैं क्योंकि उनके परिवार वाले शवों को भारत वापस नहीं ला पा रहे हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले को लेकर कई बार रियाद स्थित भारतीय दूतावास को पत्र लिखे हैं लेकिन इस मामले में अभी तक ज्यादा कुछ नहीं हो पाया है। सऊदी अरब में हैदराबाद, वारंगल, महबूब नगर, निजामाबाद और अन्य कई जगहों से बड़ी तादाद में मजदूर काम करने जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनकी तादाद लगभग 10 लाख है। खबर में दावा किया गया है कि ज्यादातर लोगों की मौत की वजह कोई गंभीर बीमारी, एक्सिडेंट और आत्महत्या होती है। वहीं एक्सिडेंट के केस में शव को वापस मरने वाले शख्स के देश में भेजने में 40 दिन का समय लगता है। शव वापस लाने के लिए कई कागजी कार्रवाई करनी होती है। इनमें पुलिस रिपोर्ट, मेडिकल से लेकर मारे गए शख्स के परिवार वालों से पत्र लिया जाता है कि वह किसी तरह के मुआवजे की मांग नहीं करेंगे। दूसरी तरफ सऊदी अरब के इम्प्लॉयर्स को वहां की भाषा में कफील कहा जाता है, वे ही शवों को वापस लाने के कामों में ज्यादा अड़चनें खड़ी करते हैं ताकि उन्हें मारे गए शख्स के परिवार वालों को मुआवजा न चुकाना पड़े। मुआवजे की रकम 4 लाख से 6 लाख रुपये के बीच में हो सकती है और इसी को बचाने के लिए वहां के कफील पूरी कोशिश करते हैं।