Ajit Doval, the biggest bureaucrat, will now take the PMO
नेशनल डेस्कः भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को एक नई जिम्मेदारी दी गई है। रणनीतिक नीति समूह (स्ट्रैटिजिक पॉलिसी ग्रुप) यानी एसपीजी के कैबिनेट सचिव की जगह अब वो इसकी अध्यक्षता करेंगे। इस नई जिम्मेदारी के साथ अब वह और भी शक्तिशाली नौकरशाह बन गए हैं। यंहा बताना जरुरी है कि एसपीजी कुछ नया नहीं है, 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तहत इसकी स्थापना की गई थी । पहले इसकी अध्यक्षा कैबिनेट सचिव करते थे। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) संरचना का पहला स्तर माना जाता था। सूत्रों के मुताबिक एसपीजी के नए प्रारूप में एनएसए के साथ कैबिनेट सचिव की जगह समूह को प्रधान मंत्री कार्यालय के लिए एक सहायक बना दिया है। एक पूर्व गृह सचिव ने कहा कि कैबिनेट सचिव एक अनुभवी सरकारी कर्मचारी है। कैबिनेट सचिव के विपरीत, एनएसए एक राजनीतिक नियुक्ति है। ऐसे समूह की अध्यक्षता में एनएसए प्रधान मंत्री कार्यालय में सत्ता की एकाग्रता का सुझाव देता है। ऐसा करके एक अनौपचारिक संरचना को औपचारिक रूप दिया गया है।
बता दें कि 1999 में एसपीजी का गठन बाहरी, आंतरिक और आर्थिक सुरक्षा के मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की मदद के लिए किया गया था। वो एसपीजी की बैठकों का संयोजन करेंगे, जबकि कैबिनेट सचिव फैसलों पर अमल को लेकर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करेंगे। इससे पहले एसपीजी की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव किया करते थे, जो सरकार में सबसे वरिष्ठ नौकरशाह होते हैं, लेकिन अब इसकी अध्यक्षता देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे। मोदी सरकार ने 11 सितंबर को इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी और 8 अक्टूबर को गजट प्रकाशित किया था। अधिसूचना के मुताबिक, अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को इस समूह का चेयरमैन घोषित किया गया है।
गौरतलब है कि पहले एसपीजी में 16 सदस्य होते थे, जिसे अब बढ़ाकर 18 कर दिया गया है। इसमें कैबिनेट सचिव और नीति आयोग के उपाध्यक्ष को दो नए सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है। एसपीजी के अन्य सदस्यों में तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्ष, आरबीआई गवर्नर, गृह सचिव, वित्त सचिव, रक्षा सचिव, विदेश सचिव और इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख शामिल हैं।