-फल की उपज से अधिक बिक रहा है बेल का जूस
इंडिया न्यूज सेंटर, बठिंडा:
शहर कि विभिन्न हिस्सों में बेल का जूस मिल रहा है। ठंडक पहुंचाने के लिए लोग इसे बेहद पसंद करते हैं। पेट की बीमारियों से राहत पाने के लिए लोग बेल का जूस पी रहे हैं लेकिन वह नहीं जानते कि उन्हें कैमिकल से तैयार जूस दिया जा रहा है। डाक्टरों के मुताबिक यह जूस बीमारियों से लोगों को राहत नहीं बल्कि उन्हें गंभीर बीमारियों की जकड़न में जकड़ रहा है। प्राशसन इन बातों को जानते हुए भी खामौश है।
बेल का जूस बेचने वाले एक रेहड़ी चालक के मुताबिक वास्तव में यह जूस नहीं, बल्कि कैमिकल से तैयार गाढ़ा पेय है। वह खुद मानता है कि इस जंगली फल के शहर में इतनी अामद ही नहीं है, जितना जूस बिक रहा है। बाजार में पत्थर चट्ट व बेलगिरी पाऊडर के नाम से उपलब्ध मिश्रण में अतिरिक्त फ्लेवर हेतु लाल व पीला रंग, कास्टिक सोडा और मीठे हेतु सक्रीन का प्रयोग किया जाता है। लगभग 3 लीटर पानी में उक्त सभी कैमिकल की करीब 100 ग्राम मात्रा मिलाई जाती है, जिससे लगभग 10 गिलास जूस तैयार होता है। इसे बनाने में महज 20 रुपए खर्च आता है और इसकी बिक्री करीब 200 रुपए में होती है।
उसके मुताबिक कैमिकल युक्त होने की वजह से यह जम भी सकता है, इसलिए इसे बर्फ मिलाकर ठंडा रखा जाता है। बेलगिरी जूस के नाम पर रेहडिय़ों पर, जो बाल्टियां भरकर रखी जाती हैं, उतना जूस निकालने के लिए एक क्विंटल से भी अधिक बेलगिरी की जरूरत होती है। बेलगिरी का जूस एक आयुर्वैदिक औषधि है, जिसका उत्पादन केरल के साथ अन्य दक्षिणी राज्यों व हिमालय के तराई क्षेत्रों में होता है। ऑफ सीजन में भी इस फल की कीमत कभी 60 से 70 रुपए प्रति किलोग्राम से कम नहीं होती और गर्मियों में मांग बढऩे के कारण दाम भी काफी बढ़ जाते हैं, जिस कारण नकली जूस बेचने की संभावना बढ़ जाती है।
स्वास्थ्य माहिरों की मानें तो कैमिकल से तैयार जूस त्वचा व आंत रोग दे सकता है। इसका सबसे अधिक नुक्सान पेट की आंतों को ही होता है, क्योंकि कैमिकल पेट में जमने से गंभीर रोग लग सकते हैं, साथ ही त्वचा रोग व एलर्जी होने की संभावना भी अधिक रहती है।