इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः वर्ष 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ा और सत्ता पर काबिज हुई तब से लेकर आज तक पार्टी का मुद्दा भी कालाधन रहा और आलोचना भी कालेधन पर ही होती रही है। मगर अब जाकर सरकार को ब्लैक मनी के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल हुई है। माना जा रहा है कि इसके पीछे सरकार का नोटबंदी जैसा साहसिक फैसला रहा। सरकार ने शुक्रवार को ये जानकारी दी है कि विमुद्रीकरण के बाद 2,09,032 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है। सरकार ने कहा, ‘‘इस साल शुरुआत में 2,09,032 संदिग्ध कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया गया है। इनमें से कुछ कंपनियों के बैंक खातों के नोटबंदी के बाद परिचालन के बारे में 13 बैंकों ने बड़ी सूचनाएं दी हैं।’’
सरकार ने कहा कि नोटबंदी के बाद बैंक खातों और लेनदेन से संबंधी आंकड़े आश्चर्यजनक हैं। आइए पढ़ते हैं चौंकाने वाले ये बड़े आंकड़े -
* करीब 5,800 ऐसी मुखौटा कंपनियों की सूचनाएं हैं जिनके खाते में जमाराशि जीरो थी पर नोटबंदी के बाद उनके खातों में करीब 4,574 करोड़ रुपये जमा हुए। बाद में इनमें से 4,552 करोड़ रुपये की निकासी भी की गयी।
* यानि जबतक नोटबंदी नहीं हुई थी तबतक इन कंपनियों के खाते में राशि नहीं थी लेकिन नोटबंदी के बाद न सिर्फ इन कंपनियों के खाते में रुपए आए बल्कि निकाले भी गए।
* पिछले महीने सरकार ने दो लाख से अधिक कंपनियों के बैंक खातों के परिचालन पर रोक लगा दी थी।
* सरकार ने इसे बड़ी सफलता बताते हुए कहा कि पहली खेप में दो लाख से अधिक कंपनियों में से करीब 5,800 कंपनियों के 13,140 बैंक खातों के बारे में जानकारी मिली हैं।
* कुछ कंपनियों के नाम पर सौ से भी अधिक बैंक खाते पाये गये हैं। इनमें से एक कंपनी के नाम पर 2,134 बैंक खाते मिले हैं। कुछ कंपनियों के पास 900 और 300 बैंक खाते पाये गये हैं।
* सरकार ने कहा कि इन कंपनियों द्वारा किया गया भारी हेर फेर भ्रष्टाचार, काला धन और गैरकानूनी कार्यों का काफी छोटा हिस्सा है।