इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था में छोटे मध्यम वर्ग के व्यापारियों (एसएमई) को शुक्रावर को बड़ी राहत दी। जीएसटी परिषद ने ‘कंपोजिशन’ योजना अपनाने वाली कंपनियों के लिये कारोबार की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी। इस योजना के तहत एसएमई को कड़ी औपचारिकताओं को पूरा किये बिना एक से पांच प्रतिशत के दायरे में कर भुगतान की सुविधा दी गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि बैठक में जीएसटी के असर और अनुभव पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि GST के 2 महीने के कलेक्शन अच्छे रहे हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि छोटे कारोबारियों को रिटर्न भरने में छूट दी जाएगी। छोटी इकाइयों और कारोबारियों की जीएसटी व्यवस्था में अनुपालन बोझ को लेकर शिकायत थी। परिषद ने उन करदाताओं को तथाकथित ‘कपोजिशन स्कीम’ का विकल्प देने का फैसला किया है जिनका सालाना कारोबार एक करोड़ रुपये या उससे कम है। अब तक यह सीमा 75 लाख रुपये थी।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने क्या-क्या कहा-
* उन्होंने कहा कि निर्यातकों को अब तुरंत रिफंड मिलेगा। साथ ही निर्यातकों को 1 अप्रैल, 2018 से ई-वॉलेट दिया जाएगा।
* कंपोजिशन स्कीम का दायरा बढ़ाया गया है। कंपाउडिंग की सीमा 75 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ की गई।
* व्यापारियों को जीएसटी रिटर्न के लिए एक ही फॉर्म भरना होगा।
* ट्रेडिंग करने वाले लोग अब एक फीसदी टैक्स देंगे, मैन्युफैक्चरिंग करने वाले 2 फीसदी और रेस्तरां बिजनेस वालों को 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा।
कंपोजिशन योजना के तहत सीमा बढ़ाने का फैसला
आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री वाई रामकृष्णुडू ने कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने आज हुई 22वीं बैठक में एसएमई के लिये कंपोजिशन योजना के तहत सीमा बढ़ाने का फैसला किया है। केरल के वित्त मंत्री थामस इसाक ने कहा कि निर्यातकों को आईजीएसटी (एकीकृत माल एवं सेवा कर) राहत और ई-वालेट सुविधा मिलेगी। जीएसटी परिषद ने रेस्तरां के लिये जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने पर विचार के लिये एक समिति भी गठित की है।
15 लाख ने कंपोजिशन योजना का विकल्प चुना
कुल 90 लाख पंजीकृत इकाइयों में से अब तक 15 लाख ने कंपोजिशन योजना का विकल्प चुना है। कंपोजिशन स्कीम में वस्तु व्यापारियों के लिये कर की दर एक प्रतिशत है। वहीं विनिर्माताओं के लिये दो प्रतिशत, खाद्य या पेय पदार्थ (अल्कोहल के बिना) की आपूर्ति करने वालों के लिये 5 प्रतिशत रखा गया है।
सेवा प्रदाता कंपोजिशन योजना का विकल्प नहीं चुन सकते
सेवा प्रदाता कंपोजिशन योजना का विकल्प नहीं चुन सकते। कंपोजिशन योजना भोजनालय समेत छोटी कंपनियों को तीन स्तरीय रिटर्न भरने की प्रक्रिया का पालन किये बिना एक से पांच प्रतिशत के दायरे में तय दर से कर देने की अनुमति देती है। यह छोटे करदाताओं को स्थिर दर पर जीएसटी भुगतान की अनुमति देता है और उन्हें जटिल जीएसटी औपचारिकताओं से गुजरने की जरूरत नहीं होती है।रेस्तरां संबंधित सेवाओं, आइसक्रीम, पान मसाला या तंबाकू विनिर्माता, आकस्मिक करदाता अथवा प्रवासी करदाता व्यक्ति तथा ई-वाणिज्य आपरेटर के जरिये वस्तुओं की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कोई भी सेवा प्रदाता इस योजना का विकल्प नहीं चुन सकता है। जो भी कंपनी कंपोजिशन योजना का विकल्प चुनती हैं, वे ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ का दावा नहीं कर सकती। साथ ही करदाता एक ही राज्य में आपूर्ति कर सकते हैं और वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य में आपूर्ति नहीं कर सकते।