23 July Jayanti Special: Poem written by Chandrashekhar Azad
मेरा नाम आज़ाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता, और मेरा पता जेल है
इंडिया न्यूज सेंटर,जालंधरः . चंद्रशेखर आजाद द्वारा लिखी कविता आज भी उनके बलिदान और शौर्य की गाथा का गुणगान करती है.
‘मां हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज,
तेरी बलिवेदी पर चढ़कर मां, निज शीश कटाने आज।
मलिन वेष ये आंसू कैसे, कंपित होता है क्यों गात?
वीर प्रसूति क्यों रोती है, जब लग खंग हमारे हाथ
धरा शीघ्र ही धसक जाएगी, टूट जाएंगे न झुके तार,
विश्व कांपता रह जाएगा, होगी मां जब रण हुंकार।
नृत्य करेगी रण प्रांगण में, फिर-फिर खंग हमारी आज,
अरि शिर गिराकर यही कहेंगे, भारत भूमि तुम्हारी आज।
अभी शमशीर कातिल ने, न ली थी अपने हाथों में।
हजारों सिर पुकार उठे, कहो दरकार कितने हैं।।’