Ex-President of India passes away, Pranav Mukherjee death today
न्यूज़ डेस्क नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का दिल्ली में सेना के रिसर्च एवं रेफरल अस्पताल में निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे और मस्तिष्क की सर्जरी के लिए 10 अगस्त 2020 को भर्ती हुए थे। सर्जरी के बाद उन्हें जीवनरक्षा प्रणाली पर रखा गया था। इसके पहले उनकी कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी के परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं।
प्रणब मुखर्जी नौ अगस्त 2020 की रात बाथरूम में गिर गए थे, जिसकी वजह से उनके माथे पर गहरी चोट लगी थी। 10 अगस्त को धौलाकुआं स्थित भारतीय सेना के रिसर्च एवं रेफरल अस्पताल में उनका सीटी स्कैन किया गया था, जिसके उनके मस्तिष्क में रक्त का थक्का जमने का पता चला था। अस्पताल के अनुसार इसके निवारण के लिए तुरंत ही उनकी जीवनरक्षा आपातकाल सर्जरी आवश्यक थी। आपरेशन सफल रहने के बाद भी उनका स्वास्थ्य सामान्य नहीं था और इसी के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
मंगलवार शाम तक उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया था। चार दशक लंबे राजनीतिक कार्यकाल के बाद वर्ष 2012 में प्रणब मुखर्जी देश के प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति बने थे। वे भारत के 13वें राष्ट्रपति थे। इस पद तक उनका पहुंचना आसान नहीं था। दरअसल राष्ट्रपति पद के लिए यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी की पसंद हामिद अंसारी थे। लेकिन समाजवादी पार्टी सहित कई क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की पसंद प्रणब दादा थे। इससे यह भी पता चला था कि राजनीतिक विभेद के बावजूद प्रणब दा की स्वीकार्यता सभी राजनीतिक दलों में थी।
हालांकि राष्ट्रपति बनने से प्रणब दा का वो सपना अधूरा ही रहा गया, जिसके लिए राजनीतिक हलकों में हमेशा चर्चा होती थी। यह सर्वविदित था कि यूपीए और कांग्रेस पार्टी के भीतर प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के सबसे मजबूत और बड़े दावेदार थे। इसी वजह से उन्हें पीएम इन वेटिंग भी कहा जाता था। लेकिन उनकी किस्मत में सात रेसकोर्स रोड नहीं बल्कि राष्ट्रपति भवन का पता लिखा था। अपनी जीवनयात्रा पर लिखी पुस्तक "द कोलिशन ईयर्स- 1996 - 2012" में खुद प्रणब मुखर्जी ने इस बात का खुलासा किया था कि वो प्रधानमंत्री बनना चाहते थे।
बतौर राष्ट्रपति उन्होंने यूपीए को सत्ता से बेदखल होते और भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाते हुए देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। कई मौकों पर वे मोदी सरकार की तारीफ करने से भी पीछे नहीं हटे। प्रधानमंत्री मोदी भी चाहते थे कि प्रणब दा बतौर राष्ट्रपति दूसरा कार्यकाल भी स्वीकार करें। लेकिन उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए प्रणब से इसे अस्वीकार कर दिया था।