` CPCB: प्लास्टिक, पीओपी और थर्मोकॉल की मूर्तियों का विसर्जन नहीं होगा, नियमों में हुआ बदलाव

CPCB: प्लास्टिक, पीओपी और थर्मोकॉल की मूर्तियों का विसर्जन नहीं होगा, नियमों में हुआ बदलाव

CPCB: Plastic, POP and Thermocol statues will not be immersed, rules change share via Whatsapp

CPCB: Plastic, POP and Thermocol statues will not be immersed, rules change

न्यूज डेस्क:
देश में अब कहीं पर भी प्लास्टिक, प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) और थर्मोकोल जैसी हानिकारक चीजों से बनीं देव प्र्रतिमाओं का जल विसर्जन नहीं किया जा सकेगा। सीपीसीबी ने देश में मूर्ति विसर्जन को पर्यावरण हितैषी तरीके से पूरा करने के लिए नियमों में बदलाव कर दिया है। नए नियमों में इन हानिकारक तत्वों से बनी मूर्तियों का विसर्जन पूरी तरह प्रतिबंधित घोषित किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने मूर्ति विसर्जन के लिए साल 2010 में जारी दिशानिर्देशों को संशोधित किया है। यह कदम मिट्टी से बनीं और सिंथेटिक पेंट व रसायनों के बजाय प्राकृतिक रंगों से रंगी गई मूर्तियों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। मंगलवार को जारी किए गए नए नियमों के तहत उन्हीं मूर्तियों के जल विसर्जन की अनुमति मिलेगी, जिनका निर्माण पर्यावरण हितैषी तत्वों से किया जाएगा और जो कोई हानिकारक प्रभाव छोड़े बिना बायोडिग्रेडेबल (प्राकृतिक रूप से स्वत: नष्ट होने वाली) होने का गुण रखती होंगी। इसमें सिंगल-यूज प्लास्टिक, थर्मोकोल या प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनीं मूर्तियाें का उपयोग करने को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। सीपीसीबी ने सभी राज्य प्रदूषण बोर्ड को अपने नियमों में संशोधित दिशानिर्देशों के आधार पर बदलाव कर लेने का आदेश दिया है। साथ ही त्योहार से पहले और बाद में जल स्रोतों के पानी का सैंपल भी इकट्ठा करते हुए रिपोर्ट बनाए जाने का निर्देश दिया गया है।
केवल सूखे फूलों व पेड़ों के प्राकृतिक गाेंद का हो उपयोग
सीपीसीबी के संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि मूर्तियों की सजावट के लिए केवल सूखे फलों के अंशों और उन्हें आकर्षक व चमकदार बनाने के लिए पेड़ों की प्राकृतिक गोंद के ही उपयोग की अनुमति रहेगी।
बेकार हो रही थी अब तक कवायद
दरअसल नदियों और जलाशयों में हर साल गणेश चतुर्थी व दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों के दौरान भारी मात्रा में मूर्तियों को विसर्जित किया जाता है। विसर्जन के लिए सस्ते व जहरीले अकार्बनिक तत्वों से बनी मूर्तियों का उपयोग बड़े पैमाने पर होने के कारण जलस्रोत बुरी तरह प्रदूषित हो रहे थे। सीपीसीबी लगातार इन पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी कर रही है। लेकिन मूर्ति निर्माण में उपयोग होने वाले हानिकारक पदार्थों पर रोक नहीं होने से ये कवायद बेकार साबित हो रही थी।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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