Coronavirus Prevention Tips: Will drinking water within 15 minutes reduce the risk of corona virus?
न्यूज़ डेस्क, नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच इसके दवाई और वैक्सीन पर भी लगातार रिसर्च जारी है। हालांकि, ट्रायल के लंबा प्रोसेस होने के कारण वैक्सीन को बाजार में आने में टाइम लगेगा। इसके साथ ही दूसरी तरफ इस घातक वायरस से जुड़े कई तरह के टिप्स भी वायरल हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक दावा ये भी किया जा रहा है कि हर 15 मिनट में पानी पीने से कोरोना वायरस का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा। सोशल मीडिया के जरिए वायरल हो रहे मैसेज में कहा जा रहा है कि हमें अपने मुंह और गले को हमेशा गीला रखना चाहिए और हर 15 मिनट पर पानी पीना चाहिए। कोरोना वायरस इन्हीं रास्ते में हमारे शरीर में जाता है। इसलिए पानी पीने से हमारी ग्रास नली से वायरस नीचे हमारे पेट में चले जाएंगे और पेट में बनने वाले एसिड से मर जाएंगे।
वैज्ञानिकों की राय
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में एपिडेमोलॉजिस्ट कल्पना सबापैथी ने बताया है कि इसे जनरलाइज कर दिया गया है यानी कुछ ज्यादा ही सामान्य तरह से पेश कर दिया गया है। उनका कहना है कि संक्रमण किसी एक वायरल कण से नहीं होता बल्कि हजारों-लाखों पार्टिकल्स के संपर्क में आने से होता है, इसलिए केवल ग्रासनली की सफाई से बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। कल्पना सबापैथी के मुताबिक इस थ्योरी में दिक्कत यह है कि इसमें वायरस को केवल पेट तक पहुंचा कर मार सकने का दावा किया जा रहा है। लेकिन ग्रासनली से पहले ही आपकी नाक से भी वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर चुका होगा। ऐसा ना भी हो तो आंखों से या अन्य रास्तों से वायरस प्रवेश कर सकता है। संक्रमित जगह या सतह को छूने के बाद आप अपनी आंखें छुएंगे तो वायरस आपको संक्रमित कर देगा। किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकले ड्रॉपलेट्स आपकी सांसों के जरिए अंदर जाकर भी आपको संक्रमित कर सकते हैं।
पेट में मौजूद अम्लीय रसों का पीएच (अम्लीयता का पैमाना) 1 से 3 के बीच में होता है, जिसमें वायरस के मरने की पूरी संभावना नहीं होती। साल 2012 में सऊदी अरब में कोरोना फैमिली का ही एक वायरस पैथोजेन आया था। इस वायरस में हल्के एसिड या पेट में मौजूद एसिड के खिलाफ प्रतिरोध करने की शक्ति थी। वैज्ञानिकों ने पाया था कि वायरस मरीजों के पेट में भी जीवित रहकर आंत की कोशिकाओं पर आसानी से हमला कर सकता है। अबतक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस नए कोरोना वायरस पर भी यह बात लागू होगी या नहीं। कोरोना वायरस में डायरिया यानी दस्त जैसे लक्षण भी बताए गए हैं। चीन के वैज्ञानिकों ने पाचनतंत्र के संक्रमित होने को भी दस्त का कारण बता चुके हैं। पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि कोरोना संक्रमित मरीजों के मल में भी वायरस की मौजूदगी हो सकती है।
वहीं बात अगर पानी पीने से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा रोकने की है, तो इसकी अबतक कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। इससे मिलती-जुलती एक स्टडी में यह जांच की गई थी कि क्या पानी से कुल्ला करने से सांस संबंधी संक्रमण रोका जा सकता है। जापान में बेहद लोकप्रिय इस तरीके के बारे में हुई स्टडी में पाया गया था कि दिन में तीन बार कुल्ला करने वाले लोगों में ऐसा न करने वालों की तुलना में कम खतरा था। हालांकि बहुत छोटे समूह पर की गई यह स्टडी कोरोना वायरस पर लागू नहीं होती है। पानी पीने की आदत अच्छी है, यह आदत पेट और त्वचा संबंधी कई तरह की बीमारियां नहीं होने देती, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के मामले में इसकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार इस दावे पर बिना किसी पुष्टि सामने आए बिना विश्वास करना खतरनाक हो सकता है।