E-commerce companies have to tell before selling online whether the goods are Indian or not. Indo-china effect
बिजनेस न्यूज डेस्क: भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच देशभर में चीन में बने उत्पादों के बहिष्कार की आवाज उठ रही है। केंद्र सरकार भी चीन से आयात कम करने के रास्ते तलाश रही है। इस संदर्भ में वाणिज्यिक एवं उद्योग मंत्रालय ई-कॉमर्स पॉलिसी में अहम प्रावधान करने जा रहा है। भारत में अब ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए यह बताना जरूरी होगा कि वे जो सामान बेच रही हैं, वह भारत में बना है या नहीं। इस संदर्भ में मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि, 'हम इसे लागू करने पर सक्रियता से विचार कर रहे हैं। इससे चीन के आयात को कम करने में मदद मिलेगी।'
मालूम हो कि 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीनों में ही चीन का भारत के साथ कारोबार 47 अरब डॉलर यानी 3.57 लाख करोड़ रुपये का रहा था। लेकिन अब एक तरह का चेकमार्क होगा, जहां ग्राहक के पास मेड इन इंडिया सामान खरीदने का विकल्प मौजूद होगा। पॉलिसी को जल्द ही इस आम लोगों के सुझावों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा।
35 से ज्यादा कंपनियों ने किया निवेश
अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट एंड द हेरिटेज फाउंडेशन की रिपोर्ट से पता चला कि चीन की 35 से ज्यादा ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने भारत में 2008 से 2019 के बीच 10 करोड़ डॉलर से अधिक निवेश किया है। जैक मा की अलीबाबा ने 12 सालों में भारत में 11,252 करोड़ रुपये का निवेश किया। मिनमेटल्स ने 9,120 करोड़ रुपये, सिंगशान स्टील ने 8,816 करोड़ रुपये, सीट्रिप ने 8,284 करोड़ रुपये, फुसान ने 8,208 करोड़ रुपये, बीबीके इलेक्ट्रॉनिक्स ने 4,256 करोड़ रुपये और शंघाई ऑटो ने 12 सालों में देश में 2,660 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
पेंशन कोष में निवेश पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव
इतना ही नहीं, वित्त मंत्रालय ने चीन समेत भारत की सीमा से लगे किसी भी देश से पेंशन कोष में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है। पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के नियमन के तहत पेंशन कोष में स्वत: मार्ग से 49 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति है।
इस संदर्भ में जारी अधिसूचना के मसौदे के अनुसार, 'चीन समेत भारत की सीमा से लगने वाले किसी भी देश की किसी भी निवेश इकाई या व्यक्ति के निवेश के लिये सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी। समय-समय पर जारी एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) नीति का संबंधित प्रावधान ऐसे मामलों पर लागू होगा।' इन देशों से कोई भी विदेशी निवेश सरकार की मंजूरी पर निर्भर करेगा।