` MAKE IN INDIA: चीन से मुकाबले के लिए तैयार हैं भारत के 'नवरत्न

MAKE IN INDIA: चीन से मुकाबले के लिए तैयार हैं भारत के 'नवरत्न

MAKE IN INDIA: India's 'Navratna' is ready to compete with China share via Whatsapp

MAKE IN INDIA: India's 'Navratna' is ready to compete with China

डेस्क, नई दिल्लीः
भारत-चीन सीमा विवाद का असर अर्थव्यवस्था पर न पड़े, इसके लिए केंद्र सरकार अब बड़े प्रयासों में जुट गई है। भारत अपनी घरेलू कंपनियों के जरिए ड्रैगन जैसे देशों की बाजार में टक्कर देगा। इसके लिए 'नवरत्न' कंपनियों को आगे लाया जाएगा। ये कंपनियां, मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम को एक नई पहचान देकर चीन को चुनौती देंगी। देश में 2014 से लेकर अब तक 14 नवरत्न कंपनियों में से अधिकांश का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल), कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड, एनबीसीसी, एनएलसी इंडिया लिमिटेड व एनडीएमसी जैसी नवरत्न कंपनियों का ऋण समता अनुपात जीरो रहा है। इन सभी कंपनियों का लाभ एवं कारोबार बढ़ा है। कुछ कंपनी ऐसी हैं, जिनका प्रदर्शन मिला-जुला रहा है। इनमें इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, महानगर टेलीफोन लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड, राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड व शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का लाभ व कारोबार घटा है। इनमें से एमटीएनएल का ऋण समता अनुपात भी नेट वर्थ के कारण ऋणात्मक रहा है।
असंतोषजनक रहा है पावर फाइनेंस व आरईसी लिमिटेड का ऋण समता अनुपात
एनडीएमसी लिमिटेड, पावर फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड व आरईसी लिमिटेड के लाभ व कारोबार में उतार-चढ़ाव लगा रहा। इनमें एनडीएमसी के ऋण शून्य रहे हैं, जबकि आरईसी व पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन के दीर्घकालीन और अल्पकालीन ऋणों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। एनडीएमसी का ऋण समता अनुपात बेहतर रहा है, जबकि पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन व आरईसी के असंतोषजनक रहे।

वित्त मंत्रालय में राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने पिछले संसद सत्र में प्रश्नकाल के दौरान जानकारी देते हुए कहा था कि इन सार्वजनिक उपक्रमों में गैर निष्पादनकारी परिसंपत्तियां न बढ़ जाएं, इसलिए ये सीपीएसई संबंधी मंत्रालयों/विभागों के नियंत्रण के अधीन कार्य करते हैं। इनके ऋण की वापसी अदायगी पर लगातार नजर रखी जाती है। मामला दर मामला हानि उठा रहे सीपीएसई के पुनरुद्धार/ पुनर्गठन के लिए सामयिक उपाय किए जाते हैं।
केंद्र सरकार देगी इन उपक्रमों को रफ्तार
भारत सरकार के स्वामित्व वाली उपकरण निर्माता कंपनियां, जैसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (बीईएल), कोचीन शिपयार्ड, भारत डायनेमिक्स (बीडीएल) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल) को जल्द ही नए ऑर्डर मिलने जा रहे हैं। चीन के साथ सीमा गतिरोध शुरू होने के बाद केंद्र सरकार ने वहां से आने वाले कई उपकरणों एवं दूसरे सामानों के आयात पर रोक लगाई है।

सरकार ने इनका विकल्प तलाशते हुए सार्वजनिक क्षेत्र एवं दूसरी घरेलू कंपनियों को मौका दिया है। बीईएल और कोचीन शिपयार्ड जैसी बड़ी कंपनियां अब मजबूत स्थिति में आती हुई दिखाई पड़ रही हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को भी सरकार की ओर से कई बड़े प्रोजेक्ट मिल रहे हैं। पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख अर्थशास्त्री एसपी शर्मा का कहना है, यह अच्छी बात है कि सरकार नवरत्न उपक्रमों को आगे बढ़ा रही है। आने वाले समय में ये उपक्रम बड़ा फायदा दे सकते हैं। इनमें से कई उपक्रम तो ऐसे हैं, जिन पर कर्ज नहीं है और वे लाभ में चल रहे हैं।  

ऐसे उपक्रमों में भुगतान और कार्यशील पूंजी जैसी कोई समस्या नहीं आती। बीईएल की ऑर्डर बुक 52,000 करोड़ रुपये की बताई गई है। इस साल बीईएल को आकाश मिसाइल सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम (ईडब्ल्यूएस), कोस्टल सर्विलांस सिस्टम और सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो का अपग्रेडेशन करना, आदि बड़े प्रोजेक्ट मिले हैं। अगले दो साल में इस कंपनी को हल्के लड़ाके विमान का टेंडर हासिल हो सकता है।

कोचीन शिपयार्ड को मिलेंगे कई बड़े प्रोजेक्ट
भारतीय वायुसेना की तरफ से इस कंपनी को कई बड़े प्रोजेक्ट मिलने की उम्मीद है। अभी कोचीन शिपयार्ड के पास अपग्रेड मिसाइल पोत, निगरानी पोत व दूसरे कई तरह के सौदे बताए गए हैं। इस कंपनी को जहाज निर्माण के अलावा जहाज मरम्मत का टेंडर भी मिलता है। हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर निर्माण उद्योग क्षेत्र की बड़ी कंपनी एचएएल को कई अहम सौदे मिले हैं।

12 सुखोई एसयू-30 एमकेआई एयरक्रॉफ्ट निर्माण का ऑर्डर मिलने के बाद कंपनी की राशि में 10,730 करोड़ रुपये तक की वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' का दायरा बढ़ाने के लिए 33 लड़ाकू जेट विमान और मिसाइल खरीदने की योजना बनाई है। इसके लिए डिफेंस एक्विजिशन कमेटी ने 38,900 करोड़ रुपये के सौदे को मंजूरी दे दी है। इस सौदे में दो तरह की मिसाइलें शामिल हैं। पहली, जो 300 किलोमीटर दूर जमीन पर मार करेंगी। दूसरी, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं। इनकी खूबी को बियोंड विजुअल रेंज भी कहा जाता है।

इस मिसाइल की दूसरी खासियत यह है कि इसे किसी भी तरह के मौसम में छोड़ा जा सकता है। डिफेंस एक्विजिशन कमेटी ने पिनाक मिसाइल खरीदने को भी मंजूरी दी है। यह मिसाइल जमीन से जमीन पर एक हजार किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखती है।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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