Russia came to NSG membership with India, said - can not be compared to Pakistan
इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः न्यूक्लियर स्पलायर्स ग्रुप (NSG) में भारत की एंट्री पर लगे चीन के द्वारा डाली गई रुकावट को हटवाने के लिए रूस आगे आया है। रूस के उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाकोकोव ने माना है कि ग्रुप में एंट्री के लिए भारत और पाकिस्तान ने जो अर्जियां दी हैं उसमें कोई समानता नहीं है और दोनों को न तो एकसाथ देखा जा सकता है और न ही दोनों पर एकसाथ फैसला लिया जा सकता है। अमेरिकी मीडिया पर बैन लगाने की तैयारी में रूस, नहीं कर पाएगी संसद की कवरेज बता दें कि 48 सदस्यों वालें NSG में भारत की एंट्री पर सिर्फ चीन रुकावट डाल रहा है, वहीं पाकिस्तान के मामले में कई सदस्य एकमत नहीं हो पाए हैं। इसी बात का जिक्र रूस के उप-विदेश मंत्री ने भी किया है। बता दें कि इस साल की शुरूआत में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी रूस से बात की थी और चीन को समझाने के लिए कहा था। रूस को चीन पर भरोसा नहीं है कि वह उसकी बात मान लेगा। इसलिए रयाकोकोव ने कहा है कि बाकी देशों को भी भारत को सदस्यता दिलवाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। भारत के लिए NSG क्यों जरूरी? भारत के लिए NSG की सदस्यता काफी जरूरी है क्योंकि इससे न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और यूरेनियम बिना किसी खास समझौते के हासिल हो सकेंगे। उनके प्लांट से निकलने वाले कचरे को खत्म करने के लिए साथी सदस्य मदद भी करेंगे। इससे साउथ एशिया में भारत चीन की बराबरी पर आ जाएगा।
क्या है NSG: यह ग्रुप मई 1974 में भारत के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद बना था। 48 सदस्यों वाले इस ग्रुप का काम है कि परमाणु से संबंधित सामान के एक्सपोर्ट को कम किया जाए या रोका जाए। 1994 में आई इसकी गाइडलाइंस के मुताबिक, परमाणु संबंधित सामग्री को तब ही दूसरे देश को दिया जा सकता है जब उसपर भरोसा हो कि वह इससे हथियार नहीं बनाएगा।