Captain Amarinder Singh And Navjot Siddhu Protest At Jantar Mantar Delhi In Support Of Farmers Demand
नेशनल न्यूज डेस्कः राष्ट्रपति की ओर से मुलाकात के लिए समय देने से इंकार करने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ यहां पर पंजाब के पूर्व केबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के साथ ही सभी मंत्री और कांग्रेसी विधायक धरने पर बैठ गए है। इस धरने के जरिए केंद्र सरकार द्वारा मालगाड़ियां रोकने के कारण राज्य में बिजली संकट और जरूरी वस्तुओं की स्थिति गंभीर होने की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की जा रही है।
जंतर-मंतर से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत अन्य नेता राजघाट गए और बापू की समाधि पर पूष्प चढाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद सभी नेता जंतर-मंतर पर पहुंचकर धरना देना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री अमरिंदर ने कहा कि सूबे में मालगाड़ियों की आवाजाही रोके जाने के कारण पैदा हुआ संकट गहराता जा रहा है, और सभी पावर प्लांट पूरी तरह बंद हो गए हैं। इसके साथ ही कृषि और सब्जियों की सप्लाई में भी काफी हद तक बाधा आई है। उन्होंने धरना देने का फैसला इसलिए लिया है ताकि केंद्र सरकार का ध्यान राज्य की नाजुक स्थिति की ओर दिलाया जा सके।
राष्ट्रपति से मिलने के लिए लिखे तीन पत्र
विधानसभा सत्र के तुरंत बाद सभी पार्टियों ने खेती बिलों के मुद्दे पर राष्ट्रपति के दखल के लिए उनको मिलने के लिए 4 नवंबर का समय मांगने का सर्वसम्मति से फैसला किया था। मुख्यमंत्री कार्यालय ने 21 अक्तूबर को राष्ट्रपति भवन को पत्र भेजकर मीटिंग का समय मांगा था। 29 अक्तूबर को फिर से ज्ञापन भेजा गया। इसके जवाब में मुख्यमंत्री कार्यालय को बीते दिन प्राप्त हुए अर्ध सरकारी पत्र में मीटिंग के लिए की गई विनती को इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि प्रांतीय संशोधन बिल अभी राज्यपाल के पास विचार के लिए लंबित पड़े हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से बीते दिन भेजे गए एक अन्य पत्र में कहा गया कि मुख्यमंत्री और अन्य विधायकों को मौजूदा स्थिति राष्ट्रपति के ध्यान में लाने और मसलों के हल के लिए उनको मिलने के लिए समय दिए जाने की जरूरत है।
इस पर राष्ट्रपति कार्यालय ने जवाब में कहा कि पहले कारणों के संदर्भ में इस समय पर यह विनती स्वीकार नहीं की जा सकती। इस स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक धारा 254 के अंतर्गत लाए गए प्रांतीय संशोधन बिल का संबंध है, संवैधानिक उपबंधों के मुताबिक राज्यपाल की भूमिका बिल आगे राष्ट्रपति को भेजे जाने तक सीमित है। उन्होंने कहा कि अकेला यह मुद्दा नहीं जिस पर राष्ट्रपति के दखल की जरूरत है।
केंद्रीय मंत्री भी नहीं मिले कांग्रेसी सांसदों से
मुख्यमंत्री ने पंजाब के कांग्रेसी सांसदों को मिलने के लिए दो केंद्रीय मंत्रियों के इंकार करने का गंभीर नोटिस लिया है, जिन्होंने राज्य के लिए महत्वपूर्ण मसलों पर विचार करना था। मंत्रियों ने रेलवे और वित्त मंत्रालयों से मालगाड़ियों के निलंबन और जीएसटी के बकाए की अदायगी न होने के मामले पर विचार करने के लिए समय मांगा था।