` कृषि बिलों से पंजाब को हर साल 4000 करोड़ रुपए का नुक्सान होगाः मनप्रीत सिंह बादल
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कृषि बिलों से पंजाब को हर साल 4000 करोड़ रुपए का नुक्सान होगाः मनप्रीत सिंह बादल

AGRI BILLS WILL CAUSE A LOSS OF RS.4000 CRORE TO PUNJAB EVERY YEAR: MANPREET SINGH BADAL share via Whatsapp

AGRI BILLS WILL CAUSE A LOSS OF RS.4000 CRORE TO PUNJAB EVERY YEAR: MANPREET SINGH BADAL

·        Bills to ruin farmers and increase pauperization in rural sectors, says FM

·        “You cannot run with the hare and hunt with the hounds,” Manpreet quips on Akali’s


नये बिल किसानों को बर्बाद करने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी बढाएंगे - वित्त मंत्री

‘आप एक ही समय पर शिकार और शिकारियों के साथ नहीं चल सकते’, मनप्रीत ने अकालियों पर कसा तंज

इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़ः राज्य के विषय सूची में दर्ज वस्तुओं पर बिल पास करके संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन करने के लिए एन.डी.ए. सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने आज कहा कि इससे हर साल पंजाब को 4000 करोड़ रुपए की कमी होगी। जिससे ग्रामीण जन-जीवन बर्बाद होने के साथ-साथ पहले ही संकट में डूबी हुई किसानी कंगाल हो जायेगी।

आज यहां  बठिंडा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि एन.डी.ए. सरकार भारत के किसानों को इस बात का भरोसा देने से भाग रही है।  फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा। मनप्रीत सिंह बादल ने कहा, ‘‘केंद्र की सरकार यह ऐलान करने से पीछे क्यों हट रही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य हमेशा और निर्विघ्न रूप में जारी रहेगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि राज्यों की सूची का विषय है और केंद्र सरकार ने इस कार्यवाही से राज्य के अधिकारों पर डाका मारा है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है कि एन.डी.ए. सरकार ने राज्यों के अधिकारों का हनन किया हो। उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि जी.एस.टी. के मालीय घाटे के मामले में राज्यों को मुआवजा देने सम्बन्धी भारतीय संविधान में व्यवस्था होने के बावजूद एन.डी.ए. सरकार जानबूझ कर संविधान के संघीय ताने-बाने की अनदेखी कर रही है।


मनप्रीत सिंह बादल ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार का यह कदम न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि उत्पाद मंडीकरण समितियों के लिए मौत की दस्तक है जिन्होंने साल 1960 से मुल्क की बहुत कारगर ढंग से सेवा की है।

केंद्र सरकार के साथ मीटिंग के विवरण पेश करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार के पास 7 मुद्दे उठाए थे। इनमें केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म न करने का स्पष्ट भरोसा लेना भी शामिल था। इसके अलावा मक्का को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाना, कृषि अनुसंधान के लिए राज्यों को और साधन प्रदान करना, कीटनाशक ऐक्ट के अंतर्गत राज्यों को और ज्यादा अधिकार देना और अन्य फसलों में अनुसंधान कार्य बढ़ाना शामिल है।

उन्होंने कहा कि मीटिंग के दौरान यह भी कहा था कि कृषि बीमा स्कीम पंजाब के लिए उचित नहीं है और केंद्र सरकार को कृषि के मुद्दों पर विदेशी सरकारों के साथ करार करते समय राज्यों के साथ परामर्श करना चाहिए।


वित्त मंत्री ने दो दस्तावेज भी जारी किये जिनमें मीटिंग के विवरण और इस मसले पर पंजाब सरकार केंद्र सरकार को लिखे पत्र शामिल हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि लिखित पत्र पंजाब सरकार के स्टैंड को बिल्कुल स्पष्ट करते हैं।

उन्होंने शिरोमणि अकाली दल को दोगलेपन का शिकार बताया। मनप्रीत ने अकाली दल की मौजूदा हालत पर चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘आप एक ही समय पर शिकार और शिकारियों के साथ नहीं चल सकते।’’ उन्होंने कहा कि एक तरफ तो अकाली प्रधानमंत्री के पैर छूते हैं। जबकि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री का विरोध करने का दावा करते हैं। वित्त मंत्री ने केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग मंत्री हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को पाखंड बताते हुए कहा कि केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग में कृषि ऑर्डीनैंसों पर चर्चा के समय हरसिमरत भी शामिल थीं। यहाँ तक कि जब एन.डी.ए. सरकार ने इनको संसद में पेश करने का फैसला लिया तो इनको एक बार फिर से कैबिनेट द्वारा स्वीकृत किया गया। उस समय भी हरसिमरत कौर बादल उपस्थित थीं।

इन कृषि बिलों के उपबंधों का विस्तार में जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अनाज की बिक्री और खरीद अब मंडियों और फड़ों तक ही सीमित नहीं रह जायेगी बल्कि इनको कहीं भी और किसी भी जगह बेचा जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि खरीददारों को अब कोई मंडी फीस नहीं देनी पड़ेगी। इस समय राज्य की 65000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का रख-रखाव इस मंडी फीस के द्वारा ही किया जाता है।

इसके अलावा खरीददार को मंजूरी या लाईसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी परन्तु खरीद के लिए पैन कार्ड का प्रयोग किया जा सकता है। इसी तरह किसान और खरीददार के दरमियान किसी विवाद की सूरत में इसका फैसला एस.डी.एम के स्तर पर होगा। इससे सभी शक्तियां प्राईवेट व्यापारी के हाथ में आ जाएंगी जबकि व्यापक मंडीकरण ढांचे को दरकिनार कर दिया गया जोकि पिछले 60 सालों के दौरान बखूबी ढंग के साथ निर्मित किया गया है।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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