Modi government will have to Respond to the purchase of Rafale aircraft: Pramod Tiwari
वरिष्ठ पत्रकार अशफांख खां
लखनऊः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि तकनीक सहित 526 करोड़ रुपये प्रति ‘‘राफेल युद्धक विमान’’ को बिना तकनीक के प्रति राफेल युद्धक विमान 1670 करोड़ रुपये में खरीद कर मोदी सरकार ने देश की जनता के साथ धोखा और छल किया है, आज देश का आम हिन्दुस्तानी जनता की गाढ़ी कमाई का हिसाब पूछ रहा है कि प्रति विमान लगभग 1000 करोड़ रुपये अखिर कहां गये ? और किसने लिया ? जबकि विमान बनाने वाली कम्पनी ने अपनी सालाना रिपोर्ट में दाम घोषित किये हैं । तिवारी ने कहा है कि रक्षा मन्त्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का यह कहना कि वर्ष 2008 में हुये समझौते के तहत राफेल युद्धक विमान की कीमत को गोपनीय रखने की शर्त रखी गयी थी, जो झूटी साबित हुई - क्योंकि राफेल युद्धक विमान का जब वर्ष 2012 में समझौता हुआ था तो वर्ष 2008 में कौन सा समझौता हुआ था ? और किसके लिये हुआ था ?
तिवारी ने कहा है कि विमान में तकनीकी खूबियां क्या हैं ? उसमें कौन - कौन सी अच्छाइंया हैं ? और उसकी विषेषतायें क्या हैं ? इसका समझौता होता है, विमान की कीमत का नहीं होता है । आज मोदी सरकार को देश की जनता को स्पष्ट जवाब देना होगा कि इस सौदे में 36000 करोड़ रुपये (छत्तीस हजार करोड़ रुपये) आखिर किस मद में गये ? और कौन ले गया है ? यह छोटी- मोटी धनराशी नहीं है- बल्कि बहुत बड़ी धनराशी है , इसका जिम्मेदार कौन है? और हिस्सेदार कौन है ? यह स्पष्ट होना चाहिए । आज देश की जनता एक सवाल पूछ रही है कि वर्ष 2012 में समझौता हुआ था कि ‘‘राफेल युद्धक विमान’’ के साथ उसकी टेक्नोलाॅजी (तकनीक) भी ट्रांसफर होगी, और जो सार्वजनिक उद्यम है, और जिसमें भारत सरकार की पूंजी लगी हुई है - शेष राफेल युद्धक विमान वह बनायेगा । तिवारी ने कहा है कि यू0 पी0 ए0 सरकार की डील में 126 राफेल युद्धक विमानों करार हुआ था जिसके तहत 18 विमान फ्रांस में बनने थे और शेष विमान भारत में बनने थे- किन्तु मोदी सरकार ने राफेल युद्धक विमान की तकनीक नये समझौते में अनिल अम्बानी को विमान बनाने के लिये दे दी जिन्हें युद्धक विमान तो छोंड़िये - सामान्य विमान बनाने का भी अनुभव नहीं है । आखिर एक सरकारी कम्पनी से छीनकर निजी को उपकृृत करने के पीछे क्या ‘‘डील’’ है, और इस डील का आधार क्या है ?
तिवारी ने कहा है कि फ्रांस ने ही इसी ‘‘राफेल युद्धक विमान’’ को मिस्र एवं कतर देषों को काफी कम कीमत में बेंचा है और उक्त दोनों देषों ने इसकी कीमत भी बता दी है तो फिर भारत ने इतनी अधिक कीमत में विमान क्यों खरीदा ? और उसकी कीमत मोदी सरकार क्यों नहीं बता रही है । तिवारी ने कहा है कि फ्रांस में ही बने ‘‘मिराज विमान’’ की कीमत यू0पी0ए0 सरकार के तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी जी ने संसद में बता दी थी, तो फिर फ्रांस के ही राफेल युद्धक विमान की कीमत मोदी सरकार देष को क्यों नहीं बता रही है ?
तिवारी ने कहा है कि आज देश के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा है, इस सवाल का जवाब जन - जन को देना मोदी सरकार की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है ।