` राष्ट्रपति ने मुलाकात के लिए समय देने से किया इन्कार

राष्ट्रपति ने मुलाकात के लिए समय देने से किया इन्कार

AS PRESIDENT DECLINES MEETING REQUEST, PUNJAB CM ANNOUNCES RELAY DHARNA OF MLAs AT DELHI’S RAJGHAT TOMORROW share via Whatsapp

AS PRESIDENT DECLINES MEETING REQUEST, PUNJAB CM ANNOUNCES RELAY DHARNA OF MLAs AT DELHI’S RAJGHAT TOMORROW
 
मुख्यमंत्री द्वारा कल दिल्ली में राजघाट पर विधायकों के धरने का ऐलान


राज्य के आखिऱी पावर प्लांट के कोयले की कमी के कारण बंद होने के चलते स्थिति को गंभीर बताया


इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़:
भारत के राष्ट्रपति द्वारा मुलाकात के लिए समय देने से इन्कार करने के मद्देनजऱ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को ऐलान किया कि वह कल दिल्ली के राजघाट में विधायकों के क्रमवार (रिले) धरने का नेतृत्व करेंगे ताकि केंद्र सरकार द्वारा माल गाड़ियों की यातायात की इजाज़त न दिए जाने के मद्देनजऱ राज्य के बिजली संकट और ज़रूरी वस्तुओं की स्थिति गंभीर होने की तरफ ध्यान दिलाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में माल गाड़ीयाँ स्थगित किये जाने के कारण पैदा हुआ संकट गहराता जा रहा है जिसके निष्कर्ष के तौर पर सभी पावर प्लांट पूरी तरह बंद हो गए हैं और इसके साथ ही कृषि और सब्जियों की सप्लाई में भी काफ़ी हद तक बाधा आई है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने राजघाट में संकेतिक धरना देने का फ़ैसला इस कारण लिया है ताकि केंद्र सरकार का ध्यान राज्य की नाजुक स्थिति की तरफ दिलाया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में धारा 144 लगी होने के मद्देनजऱ विधायक पंजाब भवन से 4-4 के जत्थों में राष्ट्रपिता की समाधी की तरफ जाएंगे और वह ख़ुद पहले जत्थे की प्रात:काल 10.30 नेतृत्व करेंगे।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पंजाब की दूसरीे पार्टियों के विधायकों को राज्य, जोकि आखिरी निजी पावर प्लांट के आज बंद हो जाने के कारण कठिनाई भरी स्थिति से गुजऱ रहा है, के हितों को देखते हुए इन धरनों में हिस्सा लेने की फिर से अपील की। जी.वी.के. ने यह ऐलान किया है कि वह आज दोपहर तीन बजे से संचालन बंद कर देगा क्योंकि कोयले की मात्रा पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है। राज्य में सरकारी और अन्य निजी पावर प्लांट पहले ही बंद हो चुके हैं।
 
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि राज्य की स्थिति बेहद गंभीर है क्योंकि किसानों के माल गाड़ीयों की यातायात न रोकने के फ़ैसले के बावजूद भी रेलवे की तरफ से इतन माल गाड़ीयों को चालू न किये जाने के कारण राज्य के पास कोयला, यूरिया /डी.ए.पी. और अन्य ज़रूरी वस्तुएँ ख़त्म हो चुकी हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज बिजली खरीद की इसकी बोली को इजाज़त न मिलने के कारण राज्य को बिजली की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और इसके साथ ही कृषि सम्बन्धी और सब्जियों की सप्लाई पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है और हाई लौस फीडरों की बिजली सप्लाई काटी जा चुकी है। राज्य के लोग अंधेरे में त्योहार मनाने के कगार पर हैं।

उन्होंने आगे कहा कि रेलवे की तरफ से माल गाड़ीयों की यातायात को निरंतर और बेवह निलंबित किये जाने से जम्मू कश्मीर, लद्दाख़ और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों के लिए गंभीर निष्कर्ष निकल रहे हैं। उन्होंने फिर से सावधान करते हुए कहा कि यदि सेना तक बर्फबारी से पहले ज़रूरी सप्लाई न पहुंचाई गई तो हमारी सेनाओं को दुश्मन की मार के नीचे आने में देर नहीं लगेगी।

विधानसभा सत्र के तुरंत बाद सभी पार्टियों ने खेती बिलों के मुद्दे पर राष्ट्रपति के दख़ल के लिए उनको मिलने के लिए 4 नवंबर का समय मांगने का सर्वसम्मति से फ़ैसला किया था और मुख्यमंत्री कार्यालय ने 21 अक्तूबर को राष्ट्रपति भवन को पत्र भेजकर मीटिंग का समय माँगा था।

29 अक्तूबर को फिर से ज्ञापन भेजा गया जिसके जवाब में मुख्यमंत्री कार्यालय को बीते दिन प्राप्त हुए अर्ध सरकारी पत्र में मीटिंग के लिए की गई विनती को इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि प्रांतीय संशोधन बिल अभी राज्यपाल के पास विचार के लिए लम्बित पड़े हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से बीते दिन भेजे गए एक अन्य पत्र में दिखाया गया कि मुख्यमंत्री और अन्य विधायकों को मौजूदा स्थिति राष्ट्रपति के ध्यान में लाने और मसलों के हल के लिए उनको मिलने के लिए समय दिए जाने की ज़रूरत है। हालाँकि, राष्ट्रपति कार्यालय ने जवाब में कहा,‘‘पहले कारणों के संदर्भ में इस समय पर यह विनती स्वीकार नहीं की जा सकती।

इस स्थिति पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जहाँ तक धारा 254 (द्बद्ब) के अंतर्गत लाए गए प्रांतीय संशोधन बिल का सम्बन्ध है, संवैधानिक उपबंधों के मुताबिक राज्यपाल की भूमिका बिल आगे राष्ट्रपति को भेजे जाने तक सीमित है। उन्होंने कहा कि अकेला यह मुद्दा नहीं जिस सम्बन्धी राष्ट्रपति के दख़ल की ज़रूरत है।

मुख्यमंत्री ने पंजाब के कांग्रेसी संासदों को मिलने के लिए दो केंद्रीय मंत्रियों द्वारा इन्कार करने का गंभीर नोटिस लिया है जिन्होंने राज्य के लिए महत्वपूर्ण गंभीर मसलों पर विचार करना था। मंत्रियों ने रेलवे और वित्त मंत्रालयों से माल गाड़ीयों के निलंबन और जी.एस.टी. के बकाए की अदायगी न होने के मामले पर विचार करने के लिए समय माँगा था।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब के प्रति केंद्र सरकार के सौतेले व्यवहारने राज्य को गहरे संकट में धकेल दिया है। उन्होंने हाल ही की परिस्थितियों को भारत के संवैधानिक संघीय ढांचे के विरुद्ध करार दिया। उन्होंने खबरदार करते हुए कहा कि यदि स्थिति न संभाली गई तो देश, जो लोकतांत्रिक संघवाद की नींवों पर टिका हुआ है, में बड़ी उथल-पुथल मच सकती है और आफ़त खड़ी हो सकती है।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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