` त्योहारों के सीजन में निगम का खजाना खाली, विज्ञापन माफिया की जेबें फुल
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त्योहारों के सीजन में निगम का खजाना खाली, विज्ञापन माफिया की जेबें फुल

Corporation's treasury empties in festive season, pockets of advertising mafia full share via Whatsapp

Corporation's treasury empties in festive season, pockets of advertising mafia full

इंडिया न्यूज़ सेंटर, जालंधर :
स्थानीय निकाय विभाग की नई विज्ञापन पॉलिसी शहर में सिरे नहीं चढ़ रही है। हालात ऐसे हो गए हैं कि शहर में विज्ञापन का ठेका लेने के लिए दो साल से कोई कंपनी आगे नहीं आ रही। यही नहीं छह बार टेंडर लगाने के बाद भी एक भी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई है। ऐसे में नगर निगम के खजाने में दो साल से कोई भी पैसा विज्ञापन पॉलिसी के तहत नहीं आ पा रहा है। इस समय यह मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि त्योहारों के सीजन में विज्ञापन साइट्स की मांग सबसे ज्यादा होती है। ऐसा नहीं है कि बड़ी कंपनियों, राजनीतिक दलों के विज्ञापन शहर में नजर नहीं आ रहे। विज्ञापन उसी गिनती में लग रहे हैं, उन्हीं जगहों पर लग रहे हैं लेकिन रुपया नगर निगम के खाते जाने की बजाए विज्ञापन माफिया की जेब में जा रहा है। वहीं, विकास कार्यो के लिए खजाना खाली होने का रोना रो रहे नगर निगम के किसी भी अधिकारी का इन विज्ञापनों पर न तो कभी ध्यान गया है और न ही इनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई की गई। बता दें कि नवरात्रों से त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है। दीवाली से पहले यह चरम पर आ गया है। इस बार त्योहार लंबे चलेंगे क्योंकि गुरु नानक देव महाराज के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित आयोजन चल रहे हैं। नया साल आ रहा है। ऐसे में माफिया और निगम के मुलाजिमों के बीच सांठगांठ से शहर में विज्ञापनबाजी हो रही है।

 

राजनीतिक दवाब के कारण भी कार्रवाई से परहेज कर रहा निगम

शहर में सक्रिय विज्ञापन माफिया पर नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई न करने का एक कारण राजनीतिक दबाव भी है। बिना मंजूरी के लगने वाले बोर्डों में राजनीतिक और धार्मिक बोर्ड की गिनती भी बहुत ज्यादा है। ठेका 18.15 करोड़ से घटा कर 10 करोड़ करने पर भी नहीं मिली सफलता नवजोत सिद्धू ने लोकल बॉडी मंत्री के रूप में नई विज्ञापन पॉलिसी तैयार की थी। जालंधर के लिए 18.15 करोड़ का ठेका तय किया। 6 बार टेंडर लगाए। टेंडर अमाउंट अब 18.15 करोड़ से 10 करोड़ रुपये सालाना तक कर दी है लेकिन फिर भी कोई कंपनी नहीं आ रही। निगम ने सात साल के लिए ठेका देना है। करीब दो साल से नगर निगम की विज्ञापन से आमदन क्षमता के मुकाबले 10 प्रतिशत ही हो रही है। 90 प्रतिशत काम ठप पड़ा है। मात्र एक जोन का ठेका दिया गया नगर निगम ने मॉडल टाउन के एक जोन का ठेका दिया हुआ है। वह भी पूरी तरह से लागू नहीं है। इसका फायदा विज्ञापन माफिया उठा रहा है।

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Source: indianewscenter

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