` कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल द्वारा केंद्र पर कृषि बिल लागू न करने को लेकर राज्यपाल के साथ मुलाकात

कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल द्वारा केंद्र पर कृषि बिल लागू न करने को लेकर राज्यपाल के साथ मुलाकात

CAPT AMARINDER LEADS PPCC DELEGATION TO MEET GOVERNOR TO PRESS FOR NON-PURSUANCE OF AGRICULTURE BILLS BY CENTRE share via Whatsapp

CAPT AMARINDER LEADS PPCC DELEGATION TO MEET GOVERNOR TO PRESS FOR NON-PURSUANCE OF AGRICULTURE BILLS BY CENTRE


यह कदम राज्य में अशांति फैलाने और पाकिस्तान के हाथों में खेलने के बराबर-मुख्यमंत्री ने दी चेतावनी

अकालियों के इस मुद्दे संबंधी यू-टर्न को ड्रामेबाज़ी बताते हुए सवाल किया कि पहले उन अध्यादेशों का विरोध क्यों नहीं किया

इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढः
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में बुधवार को एक कांग्रेसी प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर के साथ मुलाकात करके उनको एक मैमोरंडम सौंपा है। केंद्र सरकार द्वारा संसद में कृषि बिलों को लागू न करने सम्बन्धी ज़ोर डालने के लिए उनका दख़ल माँगा। मुख्यमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि कृषि अध्यादेशों को अमली रूप में लागू किए जाने से इस सरहदी राज्य में अशांति और गुस्से की लहर दौड़ जाएगी। क्योंकि राज्य पहले ही पाकिस्तान द्वारा गड़बड़ी पैदा करने की भद्दी कोशिशों के साथ जूझ रहा है

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ और प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों की हाजिऱी में मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को बताया कि पार्टी यह महसूस करती है कि मौजूदा खऱीद प्रणाली के साथ किसी भी किस्म की छेड़छाड़ और वह भी देश व्यापक संकट के इस समय में राज्य के किसानों में फैली सामाजिक तौर पर बेचैनी और गहरी हो सकती है।

मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि, ‘‘इस क्षेत्र, जो कि पहले ही अंतरराष्ट्रीय सरहद की तरफ से पेश गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है, की शान्ति और विकास के लिए यह कदम उठाया जाना घातक सिद्ध हो सकता है।

राज्य में अमन और स्थिरता के माहौल को नशों और अन्य भारत विरोधी कार्यवाहियों से विकास को पटरी से उतारने की पाकिस्तान द्वारा की जाने वाली कोशिशों संबंधी मुख्यमंत्री ने राज भवन से बाहर पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि किसान विरोधी इन बिलों के साथ लोगों के गुस्से में वृद्धि होगी। उन्होंने पूछा कि, ‘‘हम पाकिस्तान के हाथों में क्यों खेल रहे हैं।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने चेतावनी भरे लहज़े में कहा कि यह बिल, जिनमें से एक को बीते दिनों लोक सभा में पास उठाया जा चुका है, राष्ट्रीय हितों के खि़लाफ़ हैं और ख़ासकर पंजाब के लिए घातक हैं। जहाँ कि बड़ी संख्या में किसानों के पास पाँच एकड़ से कम ज़मीन है और जिनको इसका सबसे अधिक नुकसान पहुँचेगा। उन्होंने आगे कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार बाकी रहते दो बिलों को संसद में पास करवाने से गुरेज़ करेगी। उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार ने इन अध्यादेशों को पास करवाने की कोशिश में किसानों के हितों का ध्यान नहीं रखा है। बल्कि इसके उलट कॉर्पोरेट घरानों का पक्ष लिया है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस मुद्दे बाबत तीन बार प्रधानमंत्री को लिख चुके हैं, परन्तु अभी तक कोई जवाब नहीं मिला और बाकी रहते दो बिलों को कानून की सूरत देने से पंजाब बर्बाद हो जाएगा। क्योंकि यदि एम.एस.पी. प्रणाली ख़त्म की जाती है। इस दिशा में केंद्र सरकार बढ़ती हुई नजऱ आ रही है। तो पंजाब और पूरे देश का कृषि क्षेत्र तबाह हो जाएगा।

इस मुद्दे संबंधी अकालियों और सुखबीर सिंह बादल द्वारा ड्रामेबाजिय़ां और यू-टर्न लेने संबंधी मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्बन्धी बुलाई गई सर्वदलीय मीटिंग में शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी को छोडक़र सबने राज्य सरकार का साथ दिया। उन्होंने आगे बताया कि, ‘‘हमने प्रांतीय विधान सभा में एक प्रस्ताव पास किया और सभी राजनैतिक पक्षों और किसान जत्थेबंदियों के साथ बातचीत की और सभी ने ही राज्य के हक की बात की थी, सिवाए शिरोमणी अकाली दल के, जो कि अब इन अध्यादेशों की खि़लाफ़त का नाटक कर रहे हैं।



मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि, ‘‘क्या हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय कैबिनेट की मैंबर नहीं?

उन्होंने वहाँ अपना विरोध क्यों नहीं प्रकट किया और क्यों वह बाहर भी इस मुद्दे संबंधी कुछ नहीं बोल रहे?


अकाली दल ने विधान सभा में क्या किया?’’


उन्होंने बताया कि अकालियों का यू-टर्न ड्रामेबाज़ी है और मुँह रखने की कार्यवाही से सिवाए कुछ भी नहीं है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यह भी खुलासा किया कि कांग्रेस और उनकी सरकार ने हमेशा ही इन अध्यादेशों का घोर विरोध किया है। और केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री द्वारा संसद में बिल्कुल गुमराह करने वाला बयान दिया गया कि पंजाब ने इस मुद्दे को पंजाब की सहमति हासिल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि असल बात तो यह है कि भारत सरकार द्वारा कृषि संशोधनों संबंधी कायम की गई उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी में से पंजाब को बाहर रखा गया था और उनकी सरकार द्वारा रोष प्रकट करने पर ही राज्य को कमेटी में शामिल किया गया। उन्होंने बताया कि एक मीटिंग में मनप्रीत सिंह बादल शामिल हुए थे, जब कि दूसरी मीटिंग अधिकारियों के स्तर की थी, जिसमें हमारे अफसरों को यह स्पष्ट कर दिया गया था कि उनकी कोई राय नहीं माँगी जा रही, बल्कि उनको इन प्रस्तावित सुधारों संबंधी अवगत ही करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन अध्यादेशों संबंधी कभी भी जि़क्र नहीं किया गया।

बीते दिन लोक सभा में एक बिल पास होने को संसद के इतिहास का काला दिन बताते हुए सुनील जाखड़ ने कहा कि किसान यूनियनों के दबाव अधीन अकाली दल केंद्र सरकार से इस्तीफे का नाटक रचने की हद तक भी जा सकता है। परन्तु इसके साथ पार्टी का एक और झूठ नंगा हो जाएगा। उन्होंने देश ख़ासकर पंजाब के किसानों को सजदा किया, जिन्होंने अकालियों को इस मुद्दे पर अपना फ़ैसला पलटने के लिए मजबूर कर दिया।


उन्होंने विशेष तौर पर केंद्रीय मंत्री राओसाहिब दानवे के दावे को रद्द करते हुए कहा कि अध्यादेशों के मामलो में पंजाब के साथ कभी भी सलाह नहीं की गई।

राज्यपाल को आज मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में कैप्टन अमरिन्दर सिंह और सुनील जाखड़ के अलावा कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, सुखजिन्दर सिंह रंधावा और भारत भूषण आशु, विधायक राणा गुरजीत सिंह, कुलजीत सिंह नागरा और डॉ. राज कुमार वेरका और प्रदेश कांग्रेस सचिव कैप्टन सन्दीप संधू भी शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को विनती की, ‘‘केंद्र सरकार के पास सिफ़ारिश की जाए कि वह अध्यादेशों को आगे कानून बनाने के लिए बिलों को लोक सभा में पेश न करे।’’ उन्होंने राज्यपाल से अपील की कि वह इस मामले को केंद्र सरकार के पास तत्काल तौर पर ध्यान देने और कार्यवाही के लिए कहें। उन्होंने कहा कि कृषि मंडीकरण व्यवस्था में नए बदलावों से किसानों में यह अंदेशे पैदा हो जाएंगे कि सरकार उनकी तरफ से पैदा की जाने वाली फसलों की गारंटीशुदा खरीद से हाथ पीछे खींचने की योजना बना रही है।

माँग पत्र में केंद्र सरकार को बिलों द्वारा पेश किए गए कदमों की समीक्षा और पुन: विचार करने की अपील की गई, ‘‘क्योंकि इनके द्वारा किए गए वायदे पूरे होने की संभावना नहीं है। हमारे संविधान के अनुसार कृषि मंडीकरण का विषय राज्यों पर छोड़ देना चाहिए।
बिल, भारत सरकार द्वारा 5 जून 2020 को जारी किए गए तीन अध्यादेशों से सम्बन्धित हैं, जो ए.पी.एम.सी. एक्ट के अंतर्गत कृषि मंडीकरण की सीमाओं से बाहर जाकर कृषि उत्पाद बेचने का कारोबार करने, ज़रूरी वस्तुएँ एक्ट के अंतर्गत बंदिशों को नरम करने और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की सुविधा देने की आज्ञा देते हैं।


माँग पत्र में बताया गया कि पंजाब में कृषि उत्पाद मंडीकरण व्यवस्था पिछले 60 सालों से बेहतर ढंग से चल रहा है। ‘‘यह परख की कसौटी पर खरा उतरा है। इससे जहाँ अन्न सुरक्षा यकीनी बनी है, वहीं लाखों किसानों और कामगारों की रोज़ी-रोटी का भी साधन बना है।’’ आगे कहा गया कि पंजाब में आला दर्जे का ढांचा विकसित किया गया है, जिसके अंतर्गत उत्पाद के खुले मंडीकरण और भंडारण के अलावा फ़सल को खेत से मंडी तक लाने और आगे मंडी से गोदामों तक पहुंचाने की सुचारू व्यवस्था है।

प्रतिनिधिमंडल द्वारा राज्यपाल को सौंपे गए माँग पत्र के अनुसार पंजाब विधान सभा ने भी 28 अगस्त 2020 को एक संकल्प पास करके केंद्र सरकार को इन फ़ैसलों पर फिर गौर करने और किसानों के लिए न्युनतम समर्थन मूल्य का कानूनी अधिकार के लिए एक और अध्यादेश लाने की अपील की थी।


 

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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