Central Government issues Ayodhya verdict on Supreme Court
नेशनल न्यूज डेस्कः अयोध्या भूमि विवाद मामले में केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और एक अर्जी देते हुए मांग की कि विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को उसके मूल मालिकों को लौटा दी जाए और इस पर जारी यथास्थिति हटाई जाए, ताकि राम मंदिर की योजना पर काम हो सके। सरकार ने अपनी अर्जी में 67 एकड़ जमीन में से कुछ हिस्सा सौंपने की मांग की है।सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के जमीन विवाद पर लगातार टल रही सुनवाई के बीच केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में एक अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी में विवादित स्थल के पास अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन उसके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगी है। केंद्र ने इस अर्जी में कहा है कि उसने विवादित स्थल के पास के इलाके की 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था और अब वह इस अतिरिक्त जमीन को उनके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति चाहता है। आवेदन में कहा गया है आवेदक (केंद्र) अयोध्या अधिनियम, 1993 के कुछ क्षेत्रों के अधिग्रहण के तहत अधिग्रहित भूमि को वापस करने/बहाल करने/सौंपने के अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए न्यायालय की अनुमति के लिए यह आवेदन दाखिल कर रहा है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के इस्माइल फारुकी मामले में फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने माना था कि अगर केंद्र अधिग्रहित की गई सम्पत्ति को उनके मूल मालिकों को लौटाना चाहे तो वह ऐसा कर सकता है। याचिका में कहा गया है। इस अदालत की संविधान पीठ ने माना है कि 0.313 एकड़ के विवादित क्षेत्र के अलावा अतिरिक्त क्षेत्र अपने मूल मालिकों को वापस कर दिया जाए। केंद्र ने इस नई याचिका में 2003 के शीर्ष अदालत के फैसले में बदलाव की मांग की है। उस आदेश में न्यायालय ने अधिग्रहित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. केंद्र सरकार ने विवादित स्थल के पास की 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। बीजेपी के साथ ही कई और संगठनों ने केंद्र की इस अर्जी का स्वागत किया है।गौरलतब है कि शीर्ष अदालत में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपील लंबित हैं. उच्च न्यायालय ने 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई होनी थी लेकिन पांच सदस्यीय पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति एसए बोबडे के उपलब्ध नहीं होने के कारण सुनवाई रविवार को ही रद्द कर दी थी।