Dharmsot seeks people's cooperation to save forests from fire on Earth Day
Appeals to shun the practice of stubble burning
गेहूं के अवशेष न जलाने कि की अपील
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ़ः पंजाब के वन मंत्री स. साधु सिंह धर्मसोत ने ‘पृथ्वी दिवस’ के अवसर पर राज्य के वनों और वन्य जीवों को आग से बचाने के लिए राज्य के लोगों से सहयोग की माँग की है।
जंगल के पास के खेतों को आग से बचाने के लिए लोगों और विशेष तौर पर किसानों से सहयोग की माँग करते हुए स. धर्मसोत ने कहा कि गर्मी के मौसम में वन्य क्षेत्रफलों में आग लगने का ख़तरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि सड़कों, नहरों, ड्रेनों और रेल पटरियों के साथ लगते क्षेत्रों में किसानों द्वारा गेहूँ के अवशेष को आग लगाने से इन वन्य क्षेत्रों में आग लगने का ख़तरा बहुत ज़्यादा है। उन्होंने कहा कि वन्य ब्लॉकों, वन्य जीव अभयारण्यों और बंद क्षेत्रफलों में बिना सोचे समझे बीड़ी-सिग्रेट का टुकड़ा फेंकने से, शहद इकट्ठा करने वालों या पशु चराने वालों द्वारा आग जलाने से वन्य इलाकों में आग लग जाती है, जिससे वन्य जीवों और वनों का बहुत नुक्सान हो जाता है।
स. धर्मसोत ने प्रदेश वासियों से अपील करते हुए कहा कि गेहूँ के अवशेष को आग न लगाने से जहाँ खेतों के साथ लगती वन की संपत्ति का नुक्सान होने से बचाया जा सकता है, वहीं इससे पर्यावरण प्रदूषित होने से रोका जा सकता है। उन्होंने बीहड़ों के आस-पास रहने वाले लोगों और कंडी एरीये के लोगों से अपील की कि जाने-अनजाने में बीड़ी-सिग्रेट आदि का जलता हुआ टुकड़ा न फेंका जाये और कोई आग न लगाई जाये। उन्होंने कहा कि यदि किसी कारण आग जलाने की ज़रूरत हो तो उसे पूरी तरह बुझाया जाये जिससे वन, वन संपत्ति और वन्य जीव आग की लपेट में आने से बच सकें।
स. धर्मसोत ने आगे कहा वन्य क्षेत्रों को आग लगने की सूरत में राज्य वासी पुलिस, राजस्व विभाग, अग्निशमन विभाग और वन विभाग की मदद लें और सूचना साझा करने का कष्ट करें। उन्होंने कहा कि आग की रोकथाम के लिए विभिन्न जिलों के वन मंडलों के संपर्क नंबरों पर और हेल्पलाइन नंबरों पर सूचना दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि किसी नागरिक को जब भी किसी जंगल में आग लगने की सूचना मिले तो वह तुरंत इसकी सूचना सम्बन्धित वन अधिकारी/कर्मचारी को देने का कष्ट किया जाये। वन मंत्री ने कहा कि विभाग के अधिकारियों को राज्य के समूचे वन क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने और आग और दूसरे ख़तरों सम्बन्धी संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करके रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिए गए हैं।