` बड़ी खबरः कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा का दामन संभाला जितिन प्रसाद ने
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बड़ी खबरः कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा का दामन संभाला जितिन प्रसाद ने

Big news: Jitin Prasad joined BJP by saying goodbye to Congress share via Whatsapp

Big news: Jitin Prasad joined BJP by saying goodbye to Congress


कांग्रेस को बड़ा झटका: राहुल और प्रियंका के खास जितिन प्रसाद ने क्यों छोड़ी पार्टी


क्या भाजपा जितिन प्रसाद को लाकर ब्राह्मणों का वोट बैंक साधना चाहती है?


नेशनल न्यूज डेस्कः राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के एक और करीबी वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद ने आज कांग्रेस को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थाम लिया है। जितिन प्रसाद वही हैं जिन्हें प्रियंका गांधी का बेहद करीबी नेता माना जाता था और पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अगले अभियान में इन्हें बहुत अहम जिम्मेदारी देने जा रही थी। जितिन प्रसाद कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय सचिव की भूमिका निभा चुके हैं तो यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस ने जितिन प्रसाद को भले ही बहुत कुछ दिया हो, लेकिन आज उन सभी चीजों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके पहले राहुल के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ कमल का दामन थाम लिया था।   

 

भाजपा के एक शीर्ष नेता के अनुसार, जितिन प्रसाद के भाजपा खेमे में आने की अटकलें बहुत पहले से लगाई जा रही थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले भी वे भाजपा के संपर्क में थे, और पार्टी ज्वाइन करने के बहुत करीब पहुंच चुके थे। लेकिन इस बात की खबर मीडिया में आ जाने के बाद प्रियंका गांधी ने उन्हें संभाला और पार्टी में जरूरी भूमिका देने की बात कहकर उनको भाजपा में जाने से रोका था।

 

सौंपी थी पंश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी

जितिन प्रसाद को चंद दिनों पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन जितिन प्रसाद वहां भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। उनके नेतृत्व में पार्टी की सीटें न केवल शून्य हो गईं, कांग्रेस के वोट प्रतिशत में भी लगभग 10 फीसदी की रिकॉर्ड कमी हुई थी। छह दिनों पहले जी-23 के नेताओं का पत्र मीडिया की सुर्खियां बन गया था। कांग्रेस के शीर्ष 23 नेताओं ने पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में चुनाव कराए जाने की मांग की थी। इन नेताओं में भी जितिन प्रसाद शामिल थे और इस पत्र पर उन्होंने भी हस्ताक्षर किया था। यानी कांग्रेस आलाकमान से उनकी नाराजगी पहले से सामने आ रही थी।

 

जितिन प्रसाद के पिता जितेन्द्र प्रसाद भी कांग्रेस के दिग्गज नेता हुआ करते थे। इंदिरा गांधी के समय से पार्टी में काम करते हुए उनके पिता जितेन्द्र प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी के एक वफादार नेता के रूप में काम किया था, और पार्टी ने उन्हें बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी सौंपी थीं। लेकिन उन्होंने भी एक बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में सोनिया गांधी को चुनौती दी थी और उनके ख़िलाफ़ चुनाव लड़े थे। बाद में दोनों के बीच समझौता हो गया था और जितेंद्र प्रसाद की मृत्यु के बाद सोनिया गांधी ने जितिन पर पूरा भरोसा किया और उन्हें पार्टी व सरकार में अहम पद भी दिए गए। उत्तर प्रदेश के एक पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता की टिप्पणी है कि जितिन से कांग्रेस को भी कोई फ़ायदा नहीं हुआ वैसे ही भाजपा को भी कुछ नहीं मिलने वाला है। इस नेता के मुताबिक़ ऐसे अवसरवादियों के कारण ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कमजोर हुई।

 

भाजपा को जितिन प्रसाद की जरूरत क्यों

दरअसल, बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में 14 फीसदी आबादी वाले वोटर ब्राह्मण भाजपा से नाराज हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार के कई फैसलों से उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों की भाजपा से नाराजगी बनी हुई है और इस विधानसभा चुनाव में पार्टी से अलग वोट कर सकते हैं। भाजपा अपने इस कोर वोट बैंक को किसी भी हालत में संभालना चाहती है। इधर, कांग्रेस में रहते हुए जितिन प्रसाद ब्राह्मण चेतना मंच नाम से एक संगठन बनाकर ब्राह्मणों की राजनीति करते रहे हैं। वे उत्तर प्रदेश के बड़े ब्राह्मण चेहरे भले न हों, लेकिन शाहजहांपुर, ललितपुर और आसपास के इलाके में उनका आंशिक प्रभाव है और वे वहां भाजपा को लाभ पहुंचा सकते हैं। यही कारण है कि ब्राह्मणों की नाराजगी को कम करने के लिए भाजपा उन्हें अपने साथ लाना चाहती है।

 

क्या हुई है डील

जितिन प्रसाद को भाजपा में आने के बदले में क्या मिलने की डील हुई है, अभी तो यह साफ नहीं है। इसके पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में लाकर पार्टी उन्हें राज्यसभा भेज चुकी है। जितिन प्रसाद को भी राज्यसभा भेजे जाने की संभावना बन सकती है। लेकिन एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण जगह देकर चुनाव में उतारा जाए, जिससे वे अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए अहम साबित हों। इस बात में दम इसलिए भी है क्योंकि बहुप्रतीक्षित मंत्री मंडल विस्तार हाल ही में घटी कुछ घटनाओं के बाद रोक दिया गया था। अब नई परिस्थितियों में उन्हें योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल विस्तार में जगह देने की संभावना बन सकती है।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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