` मध्यस्थता के जरिए समाधान किया जा सकता हैः सर्वोच्य न्यायालय

मध्यस्थता के जरिए समाधान किया जा सकता हैः सर्वोच्य न्यायालय

Hearing Of Ayodhya Dispute Case In Supreme Court, share via Whatsapp

Hearing Of Ayodhya Dispute Case In Supreme Court,

किसने आक्रमण किया, कौन राजा था, मंदिर था या मस्जिद। हमें वर्तमान विवाद के बारे में पता हैः सुप्रीम कोर्ट


इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः
अति संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को लेकर सर्वोच्य न्यायालय ने कहा कि मध्यस्थता के जरिए समाधान किया जा सकता है।  सर्वोच्य न्यायालय ने बुधवार को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस पर आदेश बाद में सुनाया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में संविधान पीठ ने पक्षकारों की दलीलें सुनीं। कई हिंदू और मुस्लिम संस्थाएं मामले में पक्षकार हैं।

सर्वोच्य न्यायालय ने क्या कहा
 
सर्वोच्य न्यायालय ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पक्षों से मध्यस्थ और मध्यस्थों के पैनल के नाम का सुझाव मांगा है।

रामलला की ओर से कहा गया है कि अयोध्या का अर्थ है राम जन्मभूमि।

मस्जिद किसी दूसरे स्थान पर बन सकती है। यह मामला बातचीत से हल नहीं हो सकता।

हिंदू महासभा ने अदालत में कहा है कि वह मध्यस्थता के लिए इसलिए तैयार नहीं है क्योंकि वह चाहते हैं कि मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए, इससे पहले नोटिस जरूरी है। उनका कहना है कि यह उनकी जमीन है इसलिए वह मध्यस्थता को तैयार नहीं है।

मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा, "मुस्लिम याचिकाकर्ता मध्यस्थता और समझौते के लिए तैयार हैं।"

जस्टिस एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि जो पहले हुआ उस पर हमारा नियंत्रण नहीं है, अब विवाद क्या है हम उसपर बात कर रहे हैं।

जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि जब मध्यस्थता की प्रक्रिया चल रही हो तो उसकी रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए।

गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। जस्टिस एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि "जो अतीत में हुआ उसपर हमारा कोई निंयत्रण नहीं है, किसने आक्रमण किया, कौन राजा था, मंदिर था या मस्जिद। हमें वर्तमान विवाद के बारे में पता है। हम केवल विवाद को सुलझाने को लेकर चिंतित हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, यह केवल जमीन विवाद नहीं बल्कि भावनाओं, धर्म और विश्वास से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि इसमें मध्यस्थ नहीं बल्कि मध्यस्थों का एक पैनल होना चाहिए।

जस्टिस भूषण ने कहा कि अगर पब्लिक नोटिस दिया जाएगा तो मामला कई सालों तक चलेगा। वहीं जो मध्यस्थता होगी वह कोर्ट की निगरानी में होगी।
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह कोर्ट के ऊपर है कि मध्यस्थ कौन हो? यह इन कमरा हो। जिसपर जस्टिस बोबडे ने कहा कि यह गोपनीय होना चाहिए।

Hearing Of Ayodhya Dispute Case In Supreme Court,

OJSS Best website company in jalandhar
Source: INDIA NEWS CENTRE

Leave a comment






11

Latest post