इंडिया न्यूज सेंटर, जयपुर: नवरात्र इस पावन मौके पर भक्त देवी मां की पूजा करते हैं। देवी मां को प्रसन्न करने और सुख-समृद्धि की कामना के लिए हलवा-पूरी, सिंदूर, बिंदी, वस्त्र, नारियल और मिठाई आदि चढ़ावे के रूप में चढ़ाया जाता है लेकिन राजस्थान में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां देवी मां को हलवा-पूरी नहीं, बल्कि हथकड़ी और बेडिय़ां चढ़ाई जाती हैं। जी हां आपने बिल्कुल ठीक सुना। दरअसल, राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के जोलर ग्राम पंचायत में दिवाक माता का प्राचीन मंदिर है, जहां हथकड़ी और बेडिय़ां चढ़ाने की एक खास मान्यता है। माना जाता है कि एक समय मालवा के इस जंगल में डाकुओं का राज था। डाकू यहां मन्नत मांगा करते थे कि अगर वे डाका डालने में सफल रहे और पुलिस के चंगुल से बच गए, तो वे यहां आकर हथकड़ी और बेडिय़ां चढ़ाएंगे। इसलिए डाकुओं के द्वारा ही यह प्रथा शुरू की गई है। स्थानीय लोगों की इस परंपरा के पीछे एक और कहानी है, जिसके अनुसार एक नामी डाकू पृथ्वीराणा ने जेल में दिवाक माता से मन्नत मांगी थी कि अगर वह जेल तोडक़र भागने में सफल रहा, तो वह सीधा यहां दर्शन करने के लिए आएगा। दिवाक माता के स्मरण मात्र से ही उसकी बेडिय़ां टूट गई और वह जेल से भाग जाने में सफल रहा। तभी से अपने परिवार के सदस्य या किसी रिश्तेदार को जेल से छुड़ाने के लिए यहां हथकड़ी और बेडिय़ां चढ़ाई जाती हैं।