इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढः कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के 26वें मुख्यमंत्री के रुप में पद की गोपनीयता की शपथ ली है। खास बात यह है कि वे दूसरी बार पंजाब के सीएम बनने वाले पहले कांग्रेसी नेता हैं। नए मंत्रिमंडल में कैप्टन में 9 विधायकों को शामिल किया है। इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। अब वे दोपहर जब करीब साढ़े तीन बजे वह पूरे लाव-लश्कर के साथ पंजाब सिविल सचिवालय जाएंगे। ऐसे में दस साल बाद उनके कदम सचिवालय में पड़ेंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह इससे पहले 2002 से 2007 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं।चंडीगढ़ स्थित राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में गवर्नर वीपी सिंह बदनौर ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। ब्रह्मा मोहिंदरा सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू, मनप्रीत सिंह बादल, साधु सिंह धर्मसोत, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, राणा गुरजीत सिंह, चरणजीत सिंह चन्नी ने कैबिनेट मंत्री पद की गोपनीयता की शपथ ली।अरुणा चौधरी और रजिया सुल्ताना ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र) के पद की गोपनीयता की शपथ ली। मुस्लिम समुदाय से एकमात्र बड़ी नेता हैं रजिया सुल्ताना।
उल्लेखनीय है कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार को सत्ता संभालते ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इनमें से सबसे अधिक गंभीर दिन-प्रतिदिन गहराता आर्थिक संकट है। इसके अलावा आर्थिक विकास की धीमी गति, युवा वर्ग में बेरोजगारी, नशों की समस्या सबसे बड़ी चुनौती है। सरकारी तौर पर उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के अनुसार पंजाब पर इस समय 1.25 लाख करोड़ से भी अधिक का कर्ज है। यह कर्ज कई वर्षों से लगातार बढ़ता चला जा रहा है। हालांकि अकाली-भाजपा सरकार ने कई बार इस पर काबू पाने के लिए प्रभावशाली कदम उठाने के दावे किए हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं हुआ। आलम यह है कि पुराने कर्जों पर ब्याज को वापस करने के लिए नए कर्जे लेने पड़ते हैं। रोजमर्रा के खर्च चलाने तथा सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी सरकारी संपत्तियों व भवनों को विभिन्न वित्तीय संस्थानों के पास गिरवी रखना पड़ रहा है। बादल सरकार के पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान पंजाब का कर्ज लगभग दोगुना हो गया है। केवल वर्ष 2009-10 में राज्य सरकार ने करों तथा अन्य साधनों के जरिए 12,317 करोड़ रुपए एकत्रित किए जो 2008-09 में लिए गए 12,500 करोड़ रुपए के कर्ज से कुछ ही कम हैं, लेकिन इसके बाद राज्य के कर्ज में लगातार वृद्धि होती रही।