Captain Bana Singh interacting with children during the ongoing Military Literary Festival at Lake Club
इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगड़: यहां के लेक क्लब में मिलट्री लिटरेचर फेस्टिवल दौरान परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन बाना सिंह सहित सैनिकों ने देश की आन-बान की रक्षा के लिए अपने प्रेरणादायक अनुभव विद्यार्थियों से सांझे करते हुये उनको भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रौत्साहित किया। आज इस समागम के ‘बच्चों से संवाद’ में मोहाली, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब और रूपनगर से लगभग 1000 से अधिक बच्चों ने शिरकत की जिनको सशस्त्र सेनाएं और उनकी समृद्ध विरासत से अवगत् करवाया गया। इस समागम में जहां सेना की मशहूर हस्तियां सेना के गौरवमयी इतिहास, अनुभव और साहित्यक योगदान को आपस में सांझा कर रही थीं, वहीं सारागढ़ी संवाद दौरान परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन बाना सिंह ने विद्यार्थियों को सियाचीन ग्लेशियर में दुश्मन देश की सेना के दांत खट्टे करने के गौरवमयी इतिहास को बयान कर रहे थे। कैप्टन बाना सिंह विद्यार्थियों के साथ पूरी तरह घुल-मिले गये थे। उन्होंने बताया कि सियाचीन ग्लेशियर देश की रक्षा करने वाले सैनिकों के बुलंद हौसले और चुनौतियों से सीखने - और सामना करने की गौरवमयी गाथा बयान करता है। परमवीर चक्र विजेता ने अपना निजी अनुभव सांझा करते हुये बताया कि कैसे उन्होंने सियाचीन ग्लेशियर में दुश्मनों को मात दी और वहां अपने वतन का झंडा बुलंद किया। कैप्टन बाना सिंह ने बच्चों को बताया कि परमवीर चक्र देश का सर्वोच्च मिलट्री अवार्ड है जो देश की सेवा में अपना योगदान देने वाले सैनिकों के बेमिसाल योगदान को बयान करता है। कैप्टन बाना सिंह जो ख़ुद भी परमवीर चक्र से सम्मानित हैं, ने बताया कि अब तक कुल 21 सैनिकों को इस गौरवमयी अवार्ड से सम्मान किया जा चुका है जिनमें से 14 को मरणोपरांत जबकि 7 को जीवित रहते हुये यह अवार्ड दिया गया । उन्होंने कहा कि इस समय पर सिफऱ् तीन सैनिक जीवित हैं। इसी तरह लैफ्टिनैंट कर्नल हरबंत सिंह काहलों वीर चक्र, सूबेदार ध्यान सिंह सेवा मैडल, सक्वार्डन लीडर पी.पी.एस. गिल वीर चक्र, एन.के. हजारी लाल गुर्जर सेवा मैडल सहित सेना की गणमान्य शख्शीयतों ने सशस्त्र सेनाओं के विशाल अनुभव सांझे किये। उन्होंने विद्यार्थियों को सेना की सेवा में शामिल होने का न्योता देते हुये कहा कि सेना में भर्ती होना केवल रोज़ी-रोटी का पेशा नहीं है बल्कि देश की सेवा का मान और गौरव भी है।