Khokhle daave: toilets are devoid of Aryavart bank
कुप्रबंधन के कारण यहां रोज होती हैं महिलाएं शर्मसार
अशफांक खां,श्रावस्तीः आर्यव्रत बैंक की शाखा चिचड़ी अपने खाताधारकों को बेहतर बैंकिंग सेवाएं देने का दावा भले ही करता हो मगर हकीकत में बैंक प्रबंधन अपने कर्मचारियों व खाताधारकों को बुनियादी सेवाएं भी नहीं दे पा रहा है। यहां पेयजल से लेकर शौचालय तक की जरूरतों को वर्षों से नजर अंदाज किया जाता रहा है। ऐसे समय में जब सरकार के सहयोग व जन जागरूकता ने गांव के गांव को खुले में शौच से मुक्त कर दिया हो उस दौर में आर्यव्रत बैंक अपने कर्मचारियों और खाताधारकों को शौच के लिए लोटा थमा कर खुले में शौच जाने को विवश कर रहा है ।
बैंक प्रबंधन की यह व्यवस्था महिला खाता धारकों के लिए किसी उत्पीड़न से कम नहीं है । अपने खाते में पैसा जमा करने अथवा निकालने आई महिलाओं की अस्मिता यहां रोज दांव पर लगती है । बैंक प्रबंधन की नजर में इन महिलाओं की निजता व उनकी अस्मिता का कोई मूल्य नहीं है। गिलौला विकासखंड के चिचड़ी चौराहे पर वर्ष 2012 में किराए के मकान में ग्रामीण बैंक की शाखा खुली थी जो अब आर्यव्रत बैंक के नाम से जानी जाती है। आसपास कोई अन्य बैंक शाखा ना होने के कारण इस शाखा में लगभग दस हजार लोगों के खाते खुले हैं। जिनमें आधी संख्या महिलाओं की बताई जाती है ।
शाखा प्रबंधक मुकेश यादव बताते हैं कि उनका स्टाफ चार लोगों का है जिनमें एक महिला है । पुरुष कर्मचारी आवश्यकता पड़ने पर खुले मैदान में जाते हैं तो वहीं महिला कर्मचारी बैंक से दो सौ मीटर दूर एक परिचित के मकान के भरोसे ही अपनी ड्यूटी कर रही हैं। बैंक कार्य दिवस में महिला खाताधारकों की अच्छी खासी भीड़ होती है। इस दौरान यदि किसी महिला को शौच आदि जाना हो तो उसका एकमात्र विकल्प खेत ही है ।
क्या कहते बैक प्रबंधक
इस संबंध में शाखा प्रबंधक मुकेश यादव का कहना है की शौचालय के लिए उच्च अधिकारियों को पत्राचार किया गया है शीघ्र ही इस समस्या का हल निकाला जाएगा। इस बैंक का कुप्रबंधन केवल शौचालय तक सीमित नहीं है। बैंक सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को भी सिर पर एक छत नसीब नहीं है। पुलिस जाड़ा, गर्मी ,बरसात हर मौसम में खुले आसमान के नीचे बैठकर बैंक की सुरक्षा करने को विवश है ।