इंडिया न्यूज सेंटर, लखनऊ: राज्यसभा के पूर्व सांसद और जाने-माने कवि बेकल उत्साही का शनिवार सुबह दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। 88 वर्षीय उत्साही बलरामपुर के रहने वाले थे और पद्मश्री और यशभारती जैसे सम्मानों से उन्हें सम्मानित किए जा चुके थे। बेकल शुक्रवार को दिल्ली स्थित आवास के बाथरूम में गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ब्रेन हैमरेज के बाद उन्हें दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया। हालत गंभीर होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। शनिवार सुबह उनकी मौत हो गई।
ऐसे पड़ा बेकल नाम
बेकल उत्साही का जन्म 1 जून 1982 को बलरामपुर में हुआ था। उनके पिता लोधी मोहम्मद जफर खान ने उनका नाम मोहम्मद शफी खान रखा था। एक बार वह देवा शरीफ मजार पर गए वहां के हाफिज ने उन्हें देखकर एक कहावत बोली, बेदम गया बेकल आया। उसी दिन से मोहम्मद शफी खान ने नाम बदलकर बेकल रख लिया। 1952 में पंडित जवाहर लाल नेहरू एक कार्यक्रम में शामिल होने गोंडा पहुंचे। वहां बेकल ने किसान भारत का कविता का पाठ करके नेहरू का स्वागत किया। कविता से प्रभावित होकर नेहरू ने कहा, ये हमारा उत्साही शायर है। इसके बाद से ही उनका नाम बेकल उत्साही हो गया।
बेकल उत्साही की एक गजल
जब से हम तबाह हो गए
तुम जहांपनाह हो गये
हुस्न पर निखार आ गया
आईने सियाह हो गये
आंधियों को कुछ पता नहीं
हम भी गर्द-ए-राह हो गए
दुश्मनों को चि_ियां लिखो
दोस्त खैर-ख्वाह हो गए।