इंडिया न्यूज सेंटर, नई दिल्ली: धनतेरस व्रत, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन से तीसरे दिन दीपावली उत्सव मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और इसी समुद्र मंथन में से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। इसलिए यह पर्व भगवान धनवंतरि की पूजा के रूप में दीपावली पर्व के पहले मनाया जाता है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरी जो चिकित्सा के देवता भी हैं।
प्रात: 6 से 10:30- चर लाभ, अमृत
दोपहर 12 से 1:30- शुभ
4:30 से 6 चर
रात्रि 9 से 10:30 से लेकर 12:00 तक
प्रदोष का समय
शाम 5:39 रात 7:39
स्थिर लग्न वृश्चिक प्रात: काल 7:45 से 10:10
स्थिर लग्न कुंभ लग्न दोपहर 2:02 से 03:36
स्थिर लग्न स्थिर लग्न वृषभ शाम 6:42 से रात 8:41 तक