इंडिया न्यूज सेंटर, जालंधर: जैसा कि नाम से ही विदित होता है कि दशमी तिथि अर्थात् (विजय+दशमी) यह पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि के इतिहास में कई साक्ष्य मिलते हैं जिनमें से 2 प्रमुख साक्ष्य निम्न हैं। इन साक्ष्यों के बारे में बता रहे हैं प्रसिद्ध ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ दीपक अरोड़ा :
1. भगवान श्रीराम की रावण वध के साथ लंका विजय
2. माता दुर्गा द्वारा असुरों का विनाश कर देवों की असुरों पर विजय
जैसा कि ऊपर लिखित उदाहरणों से स्पष्ट है कि यह अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है अर्थात् दो सामाजिक समुदायों के संघर्ष में सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ अंतिम सुखद परिणाम भी दर्शाता है। मानव हमेशा नक्षत्र, तिथि या मुहूर्तों से लाभ लेकर अपना जीवन वर्तमान और भविष्य संवारने का साधन ढूंढता है सो हम यह प्रयास करेंगे कि इस विजय दशमी उत्सव से क्या प्रेरणा, लाभ या उपाय खोज सकें जो जीवन संवार दे। सो पाठकों के हितार्थ कुछ उपाय आगे दिए जा रहे हैं, जो उनके जीवन के कष्ट कम कर जीवन संवार सकें।
1. जीवन में शत्रु और बाधाएं कम करने के लिए: घर या मंदिर (विष्णु मंदिर) की छत पर लाल पताका तिकोणी लगाएं तो शत्रु विजय के अवसर बढ़ेंगे।
2. पति की आयु बढ़ाने और दाम्पत्य सुख बढ़ाने के लिए: विजय दशमी के दिन सुहागन सिंदूर लेकर देवी पार्वती मां को भेंट करें अर्थात् उनकी मांग में सिंदूर सजाएं तो मां की कृपा से पति की आयु तो बढ़ेगी ही पति-पत्नी में प्रेम-सौहार्द भी बढ़ेगा।
3. तरक्की, संकट नाश और कार्य सिद्धि के लिए: विजयदशमी में राम विजय के प्रमुख सहायक श्री हनुमान जी हैं। उनके बिना लंका विजय असंभव है। सो इस दिन श्री हनुमान जी को प्रात: में गुड़ चना चढ़ाएं तो संध्या समय लड्डुओं का भोग लगाएं तो जीवन में कई बाधाओं पर विजय पाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
4. बुरी आदतें त्यागने और पश्चाताप हेतु: अगर आप अपनी बुरी आदतों से तंग हैं और चाह कर उन्हें छोड़ नहीं पा रहे और पश्चाताप की अग्नि में जल रहे हैं तो ये आपके लिए स्वर्णिम उपाय व अवसर है। इस दिन माता काली के मंत्रजाप के साथ तिल अर्पण करें तो ये कई बुरी विसंगतियों से निजात दिलवाएंगे।
5. सफलता और बुरी नजर से बचाव हेतु : विजयादशमी के दिन पांच मिठाई और सवा किलो जलेबी लेकर भैरव जी के मंदिर में चढ़ाकर बाधा निवारण चाहें तो कार्यक्षेत्र या तात्रोक्त को हटाने का निवेदन करें परिणाम सकारात्मक आएगा। कुछ भाग कुत्तों को अवश्य खिलाएं।
6. बाधाएं दूर करने के लिए: धार्मिक पर्व स्वयंसिद्ध मुहूर्त जैसा प्रभाव रखते हैं। इसके लिए इस दिन लंगर, गुप्त दान, दिव्यांगों के लिए दानार्थ गुप्त सहायता करने से कई बड़ी बाधाओं का स्वत: निवारण हो जाता है।
7. चहुंमुखी प्रगति और संपन्नता के लिए : विजयादशमी में शमी या शम्मी वृक्ष पूजन का अति महत्व है क्योंकि शमी वृक्ष पूजन के पश्चात ही भगवान राम लंका विजय कर पाए। इस दिन आटे का एक चौमुखी दीपक इस वृक्ष के नीचे संध्या समय अवश्य जलाना चाहिए। थोड़ी सी मिट्टी पेड़ की जड़ में डाल दें। चौमुखी दीपक चहुमुंखी प्रगति के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। ये उपाय मुकद्दमों में विजय के साथ-साथ शत्रु पीड़ा में भी कमी करता है।
8. बलवान शत्रु को परास्त करने और आत्मबल बढ़ाने हेतु : इस दिन सुंदरकांड या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर पीडि़त व्यक्ति को इसका समर्पित जल पिलाएं तो सदैव सत्य की ही विजय होगी।
9. धन वृद्धि व लाभ हेतु : सर्वप्रथम काली गूंजा के 11 दाने ले आएं। इन्हेें गाय के दूध और गंगाजल से धोकर पूजा घर में रखकर ईष्ट का स्मरण करते हुए बाद में तिजोरी में रख दें। धन वृद्धि होगी।
10. धन वृद्धि और आजीविका वृद्धि हेतु : आटे की छोटी गोलियां बनाएं और निकट के किसी जल स्रोत पर जाएं जहां मछलियां हो। नित्य ये गोलियां राम राम स्मरण कर मछलियों को खिलाएं। आते समय बेसन के लड्डू कुत्ते को 43 दिन रोजाना खिलाएं तो आजीविका स्थायी बनी रहेगी और वृद्धि भी रहेगी।