रजनीश शर्मा, जालंधरः राज्य में दो बार सत्ता सुख भोगने व जनहित में तमाम स्कीमें लाने के बाद हार का मुंह देखने वाली शिअद सरकार से कांग्रेस कुछ न कुछ तो सबक जरूर लेगी कि आखिर शिअद ने एेसा क्या किया जिससे उसकी बदनामी होई और चुनाव हार गई। बताया जा रहा है कि तमाम विकास कार्यों के बावजूद शिअद को रेता-बजरी ले डूबी। इतना ही नहीं इन 10 सालों में जहां अकाली सरकार ने विकास का दम भरा, वहीं व्यार और औद्योगिक इकाइयों का दम निकल गया। यह बातें जनता तक पहुंचती रही और धीरे-धीरे जनता और व्यापारियों के रोष ने अकाली दल को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अकाली दल बीते 10 सालों के विकास के बलबूते पर हैट्रिक की तैयारी में थी जबकि जनता पुरानी गलती को दोबारा किसी हाल में करना नहीं चाहती थी। यही कारण रहा कि जनता ने कांग्रेस के पक्ष में पूर्ण बहुमत का फतवा देकर कैप्टन को राज्य की बागडोर सौंप दी। अब वीरवार को कांग्रेस सरकार का गठन होना जा रहा है और पंजाब की जनता को उम्मीद है कि सरकार बनने के बाद जहां प्रदेश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा वहीं जनहित में काम होगा और जनता व औद्योगिक इकाइयों व व्यापार हितों को कांग्रेस सरकार ध्यान में रखकर कार्य करेगी। अगर कांग्रेस ने शिअद के हुए हाल से सबक सीखा तो उम्मीद पूरी है कि सरकार रेत-बजरी के भावों को नकेल कसेगी और जनता की समस्याएं की तरफ पूरा ध्यान देगी।
सड़कों से गायब हुईं ऑर्बिट, कांग्रेसियों की बसें लौटींः कांग्रेस व ‘आप’ हमेशा आरोप लगाते रहे हैं कि बादल परिवार की बसें बिना परमिट के चलती हैं या परमिट कहीं और का व बसें किसी दूसरे रूट पर चल रही हैं जिससे सरकार के राजस्व का नुक्सान होने का मुद्दा तो उठाया ही गया, लोगों की बसें व परमिट तक छीनने के आरोप भी उस पर लगे। कैप्टन ने बादल परिवार की बसों व परमिटों छीनकर बेरोजगार युवाओं को देने का वायदा किया हुआ है। अब उनकी सरकार बन चुकी है तथा ऑर्बिट की बसें सड़कों से गायब हो गई हैं लेकिन साथ ही कांग्रेस नेताओं की ट्रांसपोर्ट कम्पनियों की बसें नजर आने लगी हैं जिन्हें लेकर यकीनी बनाना होगा कि वे सारी बसें परमिट और तय रूट के अनुसार ही चलें।