` सही पोजीशन में बैठकर ही स्तनपान कराना चाहिए बच्चें को होता है लाभदायक

सही पोजीशन में बैठकर ही स्तनपान कराना चाहिए बच्चें को होता है लाभदायक

Breastfeeding useful for child only when mother sitting in the right position. share via Whatsapp

Breastfeeding useful for child only when mother sitting in the right position.

लाइफस्टाईल डेस्कः दुनिया भर में अर्तराष्ट्रीय ब्रेस्टफीडिंग सप्ताह मनाया जा रहा है। माँ और बच्चे को समर्पित यह खास दिन 1 अगस्त से शुरु होकर पुरे सप्ताह मनाया जाता है। अगर ब्रेसटफीडिंग सही नही कराई जा रही है तो माँ व बच्चें दोनों के परेशानी खड़ा कर सकता है। बच्चे को ब्रेस्फीडिंग कराते वक्त मां को सही पोजीशन में बैठना बहुत जरूरी होता है। आइए मां और बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए जानते हैं कौन सी है वो पोजीशन।  बच्चे के जन्म के शुरुआती दिनों में मां को दूध पिलाते समय अपनी पीठ को टेक देकर बैठना चाहिए। उसकी इस पोजीशन को लेड बैक पोजिशन कहा जाता है। इस पोजिशन में मां 40 डिग्री सेल्सिअस की मुद्रा में बैठती हैं। इस पोजीशन में मां बच्चे को अपनी गोद में ऐसे रखती हैं कि बच्चे का पेट मां के पेट से जुड़ा होता है और उसका सिर मां के सीने के पास होता है। यह अवस्था ब्रेस्टफीडिंग के लिहाज से बहुत अच्छी मानी जाती है। इस अवस्था में बच्चे का शरीर पूरी तरह से अपनी मां के सहारे पर निर्भर होता है लेकिन बच्चे को पकड़ने के लिए मां को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है।

लेटकर ब्रेस्टफीडिंग

अक्सर महिलाओं को यह वहम रहता है कि यदि वो लेटकर अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाएंगी तो ऐसा करने से बच्चा दब सकता है। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता है। आप लेटकर भी अपने बच्चे को ब्रस्टफीडिंग करा सकती हैं। इस तरह लेटकर बच्चे को दूध पिलाने से बच्चे और माता के बीच में ज्यादा सम्पर्क बना रहेगा।

कुर्सी की जरूरत
आजकल महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कुर्सी या तकिए का इस्तेमाल करती हैं। बता दें, बाजार में फीडिंग चेयर और नर्सिंग तकिए भी आसानी से मिल जाते हैं। अगर आपको लगता है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे के गले या मुंह में कोई समस्या है या फिर उसे ज्यादा सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है तो उस स्थिति में इन उत्पादों को खरीदा जा सकता है। हर मां इस बात को जानती है कि उसका दूध उसके शिशु के लिए किसी अमृत से कम नहीं होता है। मां का दूध शिशु को पोषण देने के साथ रोगों से लड़ने की शक्ति भी प्रदान करता है। यही वजह है कि जन्म से छह महीने तक बच्चों को केवल मां के दूध पर ही निर्भर रखा जाता है। मां के दूध की वजह से शिशु को किसी तरह की पेट की गड़बड़ी होने की आशंका नहीं होती है।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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