इंडिया न्यूज सेंटर,शिमलाः कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल के चार कद्दावर नेताओं के बच्चों को टिकट देकर भाजपा को वंशवाद के खिलाफ हथियार दे दिया है।इसे परिणाम क्या होगें यह तो वक्त ही बताएगा। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने कुछ समय पूर्व ये बयान दिया था, कि एक परिवार से एक ही सदस्य को टिकट मिलना चाहिए, परंतु कांग्रेस की सूची में नेताओं के चार बच्चों को टिकट मिला है। यहां तो यह साबित होता है कि कद्दावर नेताओं के बच्चों के लिए कोई नियम कायदे नही है। वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला (ग्रामीण) सीट से, स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर मंडी सदर से विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल के बेटे आशीष बुटेल पामलपुर से और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामनाथ शर्मा के बेटे विवेक शर्मा कुटलैहड़ से टिकट पाने में कामयाब रहे। इस तरह कांग्रेस में वीरभद्र सिंह और कौल सिंह ठाकुर के बच्चे और दो अन्य नेताओं के बच्चे यानि कुल छह लोग परिवार से ही चुनाव मैदान में हैं। यही नहीं, कांग्रेस के कुछ और कद्दावर नेता अपने बच्चों को टिकट दिए जाने की पैरवी कर रहे थे। उनमें परिवहन मंत्री जीएस बाली अपने बेटे रघुवीर बाली, आबकारी मंत्री प्रकाश चौधरी अपने बेटे रिंपल चौधरी और वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी अपने बेटे अमित भरमौरी को विरासत आगे बढ़ाने के लिए मैदान में उतारना चाहते थे। वहीं, एक अन्य दिलचस्प घटनाक्रम के तहत ज्वाली से कांग्रेस विधायक नीरज भारती के स्थान पर हाईकमान ने उनके पिता और पूर्व सांसद चौधरी चंद्र कुमार को टिकट दिया है। यानी ज्वाली सीट पर बेटे की बजाय पिता चुनाव मैदान में हैं। इस तरह से ज्वाली का टिकट भी परिवारवाद की श्रेणी में ही गिना जाएगा। उधर, भाजपा की तरफ नजर डालें तो खुद को पार्टी विद ए डिफरेंस कहलाने वाले इस दल ने किसी भी नेता पुत्र या पुत्री को टिकट नहीं दिया है। भोरंज में जरूर स्व. आईडी धीमान के बेटे और विधायक डॉ. अनिल धीमान टिकट के चाहवान थे, लेकिन पार्टी ने उनकी बजाय एक महिला कमलेश कुमारी पर भरोसा जताया है। ऐसे में भाजपा चुनाव प्रचार के दौरान जोर-शोर से कांग्रेस के परिवारवाद को मुद्दा बनाएगी। यहां बता दें कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी समय-समय पर परिवारवाद के खिलाफ तंज कसता रहा है। ये अलग बात है कि भाजपा में भी शीर्ष स्तर पर कई नेता वंशवाद के पोषक हैं। राजनाथ सिंह से लेकर अन्य कई नेताओं के पुत्र राजनीति में हैं, लेकिन पार्टी अकसर ये कहती है कि भाजपा में ही अध्यक्ष या पीएम परिवार से नहीं आता। इसके लिए पार्टी सोनिया गांधी व राहुल गांधी का उदाहरण देती है। भाजपा की जनसभाओं में कांग्रेस का वंशवाद मुख्य मुद्दों में से एक होगा। कांग्रेस को इस मसले पर सफाई देने में मुश्किल होगी। कांग्रेस का एकमात्र तर्क यही रहेगा कि यदि नेताओं के बच्चे सक्रिय राजनीति में हैं तो उन्हें चुनाव लडऩे का भी हक है। फिलहाल हिमाचल कांग्रेस के चार नेताओं के बच्चे जरूर मैदान में हैं, परंतु ये चुनाव नेता पुत्रों के साथ-साथ उनके पिता के लिए भी लिटमस टैस्ट साबित होगा। वीरभद्र सिंह काफी समय से अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए राजनीति का मैदान सजाते आ रहे हैं। शिमला ग्रामीण सीट पर वे अपने बेटे को लॉंच करने के लिए प्रयासरत रहे। इसी साल की शुरुआत में उन्होंने अपने सरकारी आवास पर शिमला ग्रामीण सीट के एक प्रतिनिधिमंडल के सामने इच्छा जताई थी कि वे इस सीट को विक्रमादित्य सिंह के हवाले करना चाहते हैं। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर पहले से ही सक्रिय राजनीति में हैं। वे जिला परिषद अध्यक्ष हैं। मंडी सदर सीट पर चंपा ठाकुर लोकप्रिय भी हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के मंझे हुए नेता अनिल शर्मा से होगा। पालमपुर से बीबीएल बुटेल के बेटे आशीष बुटेल को इंदु गोस्वामी से टक्कर लेनी होगी तो विवेक शर्मा को वीरेंद्र कंवर से पार पाना होगा। ये देखना भी दिलचस्प होगा कि वीरभद्र, कौल, बुटेल अपने वारिसों के लिए चुनाव में कितना पसीना बहाते हैं, क्योंकि वीरभद्र सिंह को समूचे प्रदेश में प्रचार करना है और कौल सिंह को अपनी सीट भी निकालनी है।