` देश का पहला मिलट्री साहित्यक मेला सैन्य ताकत के साथ-साथ साहित्यक उत्कृष्टता को उजागर करते हुए शुरू हुआ
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देश का पहला मिलट्री साहित्यक मेला सैन्य ताकत के साथ-साथ साहित्यक उत्कृष्टता को उजागर करते हुए शुरू हुआ

INDIA’S 1ST MILITARY LITERATURE FESTIVAL TAKES OFF TO A FLYING START TO SHOWCASE MILITARY MIGHT WITH LITERARY EXCELLENCE share via Whatsapp

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साहित्यक मेला नौजवानों को सेना में भविष्य बनाने के लिए उत्साहित करेगा -पंजाब के राज्यपाल और वित्त मंत्री द्वारा आशा व्यक्त

इंडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढः
देश का पहला मिलट्री साहित्यक मेला शुक्रवार को पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर द्वारा इसका औपचारिक शुरुआत की घोषणा के साथ शुरू हुआ। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह साहित्यक मेला जहां नौजवान पीढ़ी के लिए देश की समृद्ध और गौरवमयी सैन्य विरासत को जानने और पढऩे का प्रभावशाली मंच साबित होगा, वहीं नौजवानों के लिए देश के बहादुर और सशस्त्र बलों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगा। बड़ी संख्या में प्रसिद्ध सेना आधिकारियों, पूर्व सैनिकों, बुद्धिजीवियों, विद्वानों, लेखकों, पत्रकारों, जंगी संवाददाताओं, इतिहासकारों, कवियों, कलाकारों, शोधकत्र्ता और उद्योगपतियों द्वारा इस नवीन मंच पर अपने तजुर्बे और अंतरदृष्टि को साझा करने को पंजाब के राज्यपाल ने बच्चों विशेषकर दूरदराज क्षेत्रों के बच्चों को सेना आधिकारियों, कर्मचारियों, पूर्व सैनिकों और युद्ध माहिरों से बातचीत का उचित अवसर करार दिया। मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरिंदर सिंह जोकि पूर्व कैप्टन और प्रसिद्ध सेना इतिहासकार भी हैं, को यह साहित्यक मेला करवाने के लिए शुभकामनांए दी जिसने पंजाबियों की न झुकने वाली इच्छा शक्ति और देश के आज़ादी संघर्ष में बेमिसाल योगदान को उभारा है।  उन्होंने कहा कि वर्षो से सृजित युद्ध कथाएं और हौसले, प्रतिष्ठा और बलिदान की कविताएं आज सुनने को मिलीं हैं। असीकनी और विपासा नदियों या आधुनिक चिनाब व रावी के बीच भारातस नामक कबीले के लोग निवास करते थे जिन्होंने विश्व की सबसे लम्बी युद्ध कला कविता रची और उसे महाभारत का नाम दिया और इसी से देश का नाम भारत पड़ा। इस धरती ने महान संतों, भक्तों, जंगी योद्धों और राजाओं को जन्म भी दिया। उन्होंने कहा कि बाद वाले समय में यह पंजाब ही था, जिसने 1947 के बाद देश की रक्षा के लिए लाखों लोगों की कुबार्नी दी।  श्री बदनौर ने आगे कहा कि हौसला और साहस सभी कौमों का एक जैसा ही होता है क्योंकि वह सभी कौमें बहादुर और दृढ होती हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध कला केवल लड़ाई का वृतांत ही नहीं होता बल्कि इसको रोकने के लिए भी होती है। श्रोताओं को सन त्सू की कहावत कि असली युद्ध कला वह होती है जहां युद्ध बिना लड़े  जीता जाये, सुना कर उन्होंने इस संबंधी स्पष्ट भी किया। श्री बदनौर ने देश का सब से बड़ा वीरता पुरुस्कार परमवीर चक्कर हासिल करने वाले तीन जीवित सैनिकों कैप्टन बाना सिंह, सूबेदार जोगिंद्र यादव और नायब सूबेदार संजय कुमार को सलाम और सम्मानित किया। वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि पंजाब को देश की खडग़ भुजा होने का गौरव हासिल है। उन्होंने कहा कि राज्य के पास देश के सब से बेहतरीन और बहुत ही माहिर और निपुण सैनिक और पूर्व सैनिक होने का गौरव है, जिन्होंने देश को अंदरूनी और बाहरी हमलोंं से अपनी असाधारण बहादुरी और निपुण युद्ध कला से बचाया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह सैन्य साहित्यक मेला नौजवानों को सेना में आने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उनमें लम्बे समय के लिए राष्ट्र प्रेम और देश भक्ति की भावना प्रचंड करेगा। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की दूरदर्शी नेतृत्व अधीन पंजाब शीघ्र ही अग्रणी सूबे के तौर पर उभरेगा और सर्वपक्षीय विकास, ख़ुशहाली और शांति का सूचक होगा। लैफ्टिनैंट जनरल सुरिन्दर सिंह, ए.वी.एस.एम., जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ़ पश्चिमी कमांड ने कहा कि यह साहित्यक मेला भविष्य में सैन्य अकादमीशियनों और माहिरों की बड़े स्तर पर शामिल करवा के नागरिकों को भारतीय सेना के गौरवमयी इतिहास के साथ रू -ब -रू करवाने के अलावा चल रही सैन्य गतिविधियों से संबंध करवा कर उनके मनों में भारतीय सेना संबंधी पाई जाती गलत धारणाओं को दूर करने का स्रोत भी बनेगा। उन्होंने कहा कि अब समय की मांग है कि देश के लोगों को देश की सैन्य ताकत और तैयारी से अवगत् करवाया जाये। उद्घाटनी सैशन की कार्यवाही लैफि. जनरल टी.एस. शेरगिल, सीनियर सलाहकार मुख्यमंत्री पंजाब द्वारा चलाई गई। यह सैन्य साहित्यक मेला पंजाब सरकार, चण्डीगढ़ प्रशासन और भारतीय सेना की पश्चिमी कमांड द्वारा सांझे तौर पर करवाया गया है।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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