Why sell more tickets, High court reprimanded the railways, High court latest action on railways
न्यूज डेस्क, रेलवे: बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, भारतीय रेलवे और रेलवे बोर्ड से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हाल ही में हुई भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय करने के मुद्दे पर जवाब मांगा है। नई दिल्ली स्टेशन पर हुई भगदड़ में 8 लोगों की मौत हो गई थी।
क्षमता से अधिक टिकट बेचने पर सवाल उठाए
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान रेलवे से एक कोच में यात्रियों की क्षमता से अधिक टिकट बेचने पर सवाल उठाया। पीठ ने कहा यदि आप कोच में यात्रियों की संख्या तय करते हैं तो आप टिकट क्यों बेचते हैं, बेचे गए टिकटों की संख्या उस संख्या से अधिक क्यों होती है? यह एक बड़ी समस्या है। न्यायालय ने विशेष रूप से रेलवे अधिनियम की धारा 57 का हवाला दिया, जिसके अनुसार प्रशासन को एक डिब्बे में ले जाए जाने वाले यात्रियों की अधिकतम संख्या तय करनी होगी।
पीठ ने टिप्पणी की यदि आप एक साधारण सी बात को सकारात्मक तरीके से अक्षरशः लागू करते हैं, तो ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है। भीड़भाड़ वाले दिनों में आप भीड़ को समायोजित करने के लिए उस संख्या को बढ़ा सकते हैं, जो समय-समय पर आने वाली आवश्यकताओं के आधार पर होती है। लेकिन कोच में बैठने वाले यात्रियों की संख्या तय न करके इस प्रावधान की हमेशा से उपेक्षा की गई है।
न्यायालय वकीलों, उद्यमियों और अन्य पेशेवरों के एक समूह के संगठन अर्थ विधि द्वारा हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की पृष्ठभूमि में दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश में महाकुंभ में भाग लेने के लिए लोगों की भीड़ के कारण स्टेशन पर भीड़भाड़ थी।
भगदड़ मामले पर जनहित याचिका पर सुनवाई
वकील आदित्य त्रिवेदी के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे अधिनियम के तहत विभिन्न कानूनी प्रावधानों और नियमों को ठीक से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने पीठ को बताया यह याचिका कुप्रबंधन, घोर लापरवाही और प्रशासन की पूर्ण विफलता को उजागर करती है, जिसके कारण 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई।
भगदड़ मामले पर जनहित याचिका पर सुनवाई
वकील आदित्य त्रिवेदी के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे अधिनियम के तहत विभिन्न कानूनी प्रावधानों और नियमों को ठीक से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने पीठ को बताया यह याचिका कुप्रबंधन, घोर लापरवाही और प्रशासन की पूर्ण विफलता को उजागर करती है, जिसके कारण 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई।
याचिकाकर्ता का आरोप- रेलवे की विफलता उजागर हुई
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने मुद्दे की गंभीरता पर जोर दिया और रेलवे की विफलताओं को उजागर किया। हम रेलवे अधिनियम की धारा 57 और 157 को उजागर करते हैं। हवाई अड्डों पर यह जानने के लिए तंत्र हैं कि कितने लोग हैं। भारतीय रेलवे के पास ऐसा कोई तंत्र नहीं है। अनारक्षित वर्ग के लिए कोई अधिसूचना या परिपत्र नहीं है। अगर रेलवे अपने नियमों का पालन नहीं कर रहा है, तो हम सुरक्षा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय दलीलों से सहमत दिखे और उन्होंने टिप्पणी की कि जनहित याचिका का कोई विरोध नहीं होना चाहिए। भारतीय रेलवे की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह कोई प्रतिकूल रुख नहीं अपना रहे हैं। यह कानून है, हम इससे बंधे हैं। इसके लिए किसी आदेश की जरूरत नहीं है। मेहता ने आगे कहा कि रेलवे उठाए गए मुद्दों पर विचार करेगा। मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।