Railway running staff protest for 36 hours, Loco pilot protest against duty hours
1. आज सुबह 8 बजे से धरना शुरू
2. फिरोजपुर और जम्मू डिवीजन के लोको पायलट वह गार्ड का आज से धरना शुरू
3. लोको पायलट चाहते हैं कि मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों में छह घंटे और मालगाड़ी में आठ घंटे की ड्यूटी का रोस्टर हो।
4. 36 घंटे के उपवास के साथ लोको पायलट करेंगे ड्यूटी: राजकुमार (AILRSA प्रेसिडेंट FZR/JAT)
इंडिया न्यूज सेंटर, जालंधर: भारत में कानूनन एक दिन में 8 घंटे की ड्यूटी करने का प्रावधान है। लेकिन रेलवे के लोको पायलटों (Loco Pilot) का कहना है कि वे 11 घंटे से 16 घंटे तक लगातार ड्यूटी करते हैं। इस वजह से हादसे भी होते रहते हैं। लेकिन सरकार की तरफ से उनके लिए समधान नहीं निकला है। इसलिए, उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के बताए रास्ते पर चलने का फैसला किया है। जी हां, देश भर के लोको पायलटों ने आज यानी वीरवार, 20 फरवरी 2025 को सुबह आठ बजे से 36 घंटे तक का उपवास शुरू कर दिया है। वही जालंधर में AILRSA के कर्मचारी वह पदाधिकारी रोष प्रदर्शन करते हुए। जालंधर के AILRSA कर्मचारियों ने भी एकजुट होकर 36 घंटे उपवास का किया समर्थन।
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इस अवधि के दौरान जिन लोको पायलट्स की ड्यूटी पड़ेगी वे काम करेंगे, लेकिन भोजन नहीं करेंगे। वे भूखे पेट काम करेंगे और सरकार के समक्ष अपना विरोध जताएंगे।
रेल प्रशासन के समक्ष विरोध
लोको पायलटों या रेलवे के ड्राइवरों का प्रतिनिधि संगठन ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशनl (AILRSA) ने इस उपवास का आह्वान किया है। यह उपवास गुरुवार सुबह आठ बजे से शुक्रवार रात आठ बजे तक चलेगा। AILRSA के FZR/JAT डिवीजन के प्रधान राजकुमार ने बताया कि हमारी रेल प्रशासन से यह मांग है की लोको पायलट कि मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों में छह घंटे और मालगाड़ी में आठ घंटे की ड्यूटी का रोस्टर हो।
बातचीत में बताया कि ट्रेनों के लोको पायलट गुरुवार सुबह आठ बजे से भूख हड़ताल पर बैठेंगे। जो लोग ड्यूटी में होंगे वह भूखे रहकर काम करेंगे। जो रेस्ट में होंगे वह डीआरएम कार्यालय के सामने भूखे रहकर धरना देंगे।
क्यों ऐसा करना पड़ रहा है
राजकुमार (FZR/JAT/AILRSA) का कहना है कि लोको पायलटों को भारी दबाव के बीच काम करना पड़ रहा है। मालगाड़ी के पायलटों की बात करें तो उन्हें औसतन 11 घंटे तक काम करना पड़ता है। कभी-कभी तो वे 13 घंटे, 16 घंटे तक ड्यूटी करते हैं। इस वजह से दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं।
क्या है लोको पायलटों की मांग
लोको पायलट चाहते हैं कि मेल/एक्सप्रेस गाड़ियों में छह घंटे और मालगाड़ी में आठ घंटे की ड्यूटी का रोस्टर हो। उनका कहना है कि 19वीं सदी में, जब औद्योगिक क्रांति आई थी, आठ घंटे काम, आठ घंटे विश्राम और आठ घंटे परिवार के लिए पूरी दुनिया की बुनियादी श्रम मांगें थीं। यह बिल्कुल भयावह है कि आजादी के 77 साल बाद भी सरकार के अधीन केंद्रीय सरकारी संस्थान में 8 घंटे के काम के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
रोगी बन जाते हैं ट्रेन ड्राइवर
एक लोको पायलट कहते हैं कि इस बारे में कई स्टडीज हो चुकी है। लगातार 85 डेसिबल से ऊपर की ध्वनि सुनने से सुनने की शक्ति पर गंभीर असर पड़ सकता है, लेकिन उनमें से हर किसी को 95 डेसिबल से ऊपर की ध्वनि में 10 और 15 घंटे काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जब वह ट्रेन लेकर कई स्टेशनों और सिगनलों से 100 और 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरते हैं तो लोको में भीषण कंपन होता है। इससे शरीर में जो दर्द होता है उसकी तुलना किसी कार्यालय में आठ घंटे काम करने वाले व्यक्ति से कैसे की जा सकती है। इसी वजह से अधिकतर लोको पायलट हाई ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीज बन जाते हैं।
रेलवे में 20 हजार लोको पायलट के पद खाली
राजकुमार बताते हैं कि इस समय देश भर में लोको पायलट की करीब 20,000 रिक्तियां हैं। इसलिए काम में छुट्टी नहीं देना एक आम विचारधारा बन गई है। वह कहते हैं कि किसी व्यक्ति की काम के प्रति जिम्मेदारी के अलावा, उसकी अपने परिवार और समाज के प्रति भी जिम्मेदारी है। लेकिन पर्याप्त छुट्टी नहीं मिलने से उनका यह काम भी नहीं हो पाता है। अधिकतर लोको पायलटों का सामाजिक जीवन रेल इंजन तक ही सीमित हो जाता है।