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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के दिन विशेष फल कैसे प्राप्त करें...? जानें शिवलिंग पूजन की महिमा और पूजा मुहूर्त...

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के दिन विशेष फल कैसे प्राप्त करें...? जानें शिवलिंग पूजन की महिमा और पूजा मुहूर्त...

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रिलीजियस डेस्क: इस साल महाशिवरात्रि के दिन शश और मालव्य राजयोग बनेगा।इसमें शश राजयोग का निर्माण न्याय व दंड के देवता शनि देव तो दैत्यों के गुरू शुक्र ग्रह मालव्य राजयोग बनाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वर्तमान में धन, वैभव, ऐश्वर्य के दाता शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में विराजमान है, जिससे मालव्य राजयोग का निर्माण हुआ है।वही शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान है, जिससे शश राजयोग बना है। 

महाशिवरात्रि की पूजा विधि

शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल अर्पित करें।

बेलपत्र, धतूरा, चंदन, अक्षत, भस्म और सफेद फूल चढ़ाएं। साथ ही धूप-दीप जलाकर शिव की आरती करें और भजन गाएं।

इस दौरान आप शिवपुराण और रुद्राष्टक का पाठ भी कर सकते हैं। 

महाशिवरात्रि व्रत के नियम

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। स्नान के बाद भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।

यदि निर्जला व्रत न कर रहे हों तो फलाहार करें। प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज करें।

इस दिन नियमित शिव मंत्रों का जाप करें। "ॐ नमः शिवाय" और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ होता है।

इस दिन सदाचार का पालन करना चाहिए। क्रोध, अहंकार, निंदा आदि से दूर रहें। संयमित व्यवहार रखें और मन को शांत रखें।

इसके अलावा पूरी रात शिव भक्ति में लीन रहें और भजन-कीर्तन करें। चार प्रहर में शिवलिंग का पूजन करें।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र

मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।

तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।

महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 26 फरवरी को प्रात: काल में 05:17 से लेकर 06:05 मिनट तक

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 06:29 से रात 09 बजकर 34 मिनट तक

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 09:34 से 27 फरवरी सुबह 12 बजकर 39 मिनट तक

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी को रात 12:39 से सुबह 03 बजकर 45 मिनट तक

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी को सुबह 03:45 से 06 बजकर 50 मिनट तक

भगवान शिव को सामग्री चढ़ाते हुए मंत्र

रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव की पूजा करते समय शिवलिंग पर दुग्ध, घी, शुद्ध जल, गंगाजल, शक्कर, गन्ने का रस, बूरा, पंचामृत, शहद, आदि अर्पित करते हुए इन मंत्रों का जाप करें। 

रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं | सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो

रूद्र उच्च्यते|| एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः । एकदशभिरेता

भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।

महाशिवरात्रि पर ज़रूर करें शिवाष्टकम का पाठ 

Shivashtakam: जय शिवशंकर, जय गंगाधर.. 

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुख-सार हरे,

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर, जय जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय सगुण अनामय, निराकार, साकार हरे ,

पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ १ ॥

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर, वैद्यनाथ, केदार हरे,

मल्लिकार्जुन, सोमनाथ जय, महाकाल ओंकार हरे,

त्रयम्बकेश्वर, जय घुश्मेस्वर, भीमेश्वर, जगतार हरे,

काशीपति, श्री विश्वनाथ जय, मंगलमय अघ-हार हरे,

नीलकण्ठ जय, भूतनाथ, मृत्युंजय, अविकार हरे,

पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ २ ॥

जय महेश, जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

किस मुख से हे गुणातीत प्रभु, तव महिमा अपार वर्णन हो,

जय भवकारक, तारक, हारक, पातक-दारक, शिव शम्भो,

दीन दुःखहर, सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाकर शिव शम्भो,

पार लगा दो भवसागर से, बनकर करुणाधार हरे,

पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ३ ॥

जय मनभावन, जय अतिपावन, शोक-नशावन शिव शम्भो,

सहज वचन हर, जलज-नयन-वर, धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन, शिव शम्भो,

सहज वचन हर, जलज-नयन-वर, धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

मदन-कदन-कर पाप हरन हर-चरन मनन धन शिव शम्भो,

विवसन, विश्वरूप प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे,

पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ४ ॥

भोलानाथ कृपालु दयामय, औघड़दानी शिव योगी,

निमित्र मात्र में देते हैं, नवनिधि मनमानी शिव योगी,

सरल ह्रदय अतिकरुणा सागर, अकथ कहानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटा कर बने मसानी शिव योगी,

स्वयं अकिंचन, जनमन रंजन, पर शिव परम उदार हरे,

पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ५॥

आशुतोष इस मोहमयी निद्रा से मुझे जगा देना,

विषय-वेदना से विषयों को माया-धीश छुड़ा देना,

रूप-सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना,

दिव्य-ज्ञान-भण्डार-युगल-चरणों में लगन लगा देना,

एक बार इस मन मन्दिर में कीजे पद संचार हरे,

पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ६ ॥

दानी हो, दो भिक्षा में अपनी अनपायनि भक्ति प्रभो,

शक्तिमान हो, दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो,

पूर्ण ब्रह्म हो, दो तुम अपने रूप का सच्चा ज्ञान प्रभो,

स्वामी हो, निज सेवक की सुन लेना करुण पुकार हरे,

पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ७ ॥

तुम बिन, व्याकुल हूँ प्राणेश्वर आ जाओ भगवंत हरे,

चरण-शरण की बांह गहो, हे उमा-रमण प्रियकंत हरे,

विरह व्यथित हूँ, दीन दुःखी हूँ, दीन दयालु अनन्त हरे,

आओ तुम मेरे हो जाओ, आ जाओ श्रीमन्त हरे,

मेरी इस दयनीय दशा पर, कुछ तो करो विचार हरे,

पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ८ ॥

महाशिवरात्रि पूजन मंत्र: Mahashivratri pujan Mantra

ॐ ऊर्ध्व भू फट् । ॐ नमः शिवाय । ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।

ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा ।

ॐ इं क्षं मं औं अं । ॐ प्रौं ह्रीं ठः ।

ॐ नमो नीलकण्ठाय । ॐ पार्वतीपतये नमः । ॐ पशुपतये नम:।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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