Income Tax Bill 2025, Powers in new income tax bill, New income tax ammendment
बिजनेस डेस्क: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर नियंत्रण बोर्ड (सीबीडीटी) के सूत्रों ने कहा कि आयकर अधिकारियों को 2025 के नए आयकर विधेयक में अतिरिक्त शक्तियां दिए जाने का दावा गलत है। दावा किया जा रहा था कि आयकर अधिकारियों को ईमेल, सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुंचने के अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं।
सीबीडीटी के सूत्रों ने बताया कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 132 के तहत एक अधिकृत अधिकारी को किसी व्यक्ति से यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि वह अपने पास रखी किताबों, खाता बही या अन्य दस्तावेजों को जब्त करे। ये दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में भी हो सकते हैं। एक सूत्र ने कहा कि नए अधिकार दिए जाने के दावे गलत हैं।
इसी तरह आयकर विधेयक 2025 की धारा 247 के तहत एक अधिकृत अधिकारी किसी कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस के एक्सेस कोड को ओवरराइड करके उसकी पहुंच हासिल कर सकता है। सूत्रों ने बताया कि यह बस पहले से मौजूद अधिकारों को दोहराने जैसा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अधिकार कर अधिकारियों को केवल विशेष परिस्थितियों में तब दिया जाता है, जब कोई सक्षम अधिकारी तलाशी या जब्ती का आदेश देता है और संबंधित व्यक्ति सहयोग नहीं कर रहा होता है।
एक सूत्र ने यह भी कहा, यह सामान्य तरीका नहीं है। यह सिर्फ कुछ खास परिस्थितियों में ही लागू होता है। यह अधिकार आयकर अधिनियम 1961 के तहत पहले भी था और नए आयकर विधेयक 2025 में भी यही स्थिति बनी हुई है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नए आयकर विधेयक की जांच के लिए लोकसभा सांसदों की एक 31 सदस्यीय चयन समिति का गठन किया है। इस विधेयक का मकसद कर कानूनों को आसान बनाना, परिभाषाओं को आधुनिक बनाना और कर से जुड़े विभिन्न मामलों में अधिक स्पष्टता प्रदान करना है।
यह नया विधेयक 13 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किया था और इसका मकसद मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 को प्रतिस्थापित करना है। यह विधेयक व्यक्तियों, व्यवसायों और गैर-लाभकारी संगठनों जैसे करदाताओं पर प्रभाव डालने वाले कई बदलाव करेगा। जुलाई 2024 के बजट में सरकार ने आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा का प्रस्ताव रखा था, जिसका मकसद मौजूदा अधिनियम को संक्षिप्त और स्पष्ट बनाना और विवादों व मुकदमों की संख्या को कम करना है।